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26/11 आतंकी हमला: वो 72 घंटे जिसने बदल दी मुंबई की सूरत

आज 26 नवंबर 2017 है लेकिन साल 2008 की यही रात मुंबईकर समेत पूरा देश आजतक नहीं भूल पाया है।

Updated on: 26 Nov 2017, 12:35 AM

नई दिल्ली:

आज 26 नवंबर 2017 है लेकिन साल 2008 की यही रात मुंबईकर समेत पूरा देश आजतक नहीं भूल पाया है। सीमा पार पाकिस्तान से समुद्री रास्ते मुंबई में घुसे लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने 72 घंटे तक खूनी तांडव मचाए रखा। आकतंकियों के इस खूनी खेल में 166 निर्दोष लोग मारे गए थे।

हमले के 9 साल बाद उस काली रात के जख्म तो भर गए लेकिन यादें अभी भी ताजा है। मुंबई आतंकी हमले की 9वीं बरसी पर हम आपको बताते हैं कैसे 10 आतंकियों ने 72 घंटे तक मुंबई को बना लिया था बंधक।

मुंबई को आतंक के साये से मुक्ति दिलाने के लिए एनएसजी (नेशनल सिक्टुरिटी गॉर्ड) को ऑपरेशन ब्लैक टोरनेडो लॉन्च करना पड़ा था। ये ऑपरेशन तीन दिन लंबा न खिंचता अगर आतंकी 105 साल पुराने महाराष्ट्र के सबसे महंगे, आलीशान और बड़े होटल ताजमहल पैलेस में ना छुपे होते। 

आतंकी हमले से होटल को भी काफी नुकसान पहुंचा और हमले के बाद करीब दो सालों तक इस होटल को मरम्मत के लिए बंद रखना पड़ा था।

एक नजर कैसे आतंकियों ने मुंबई को 72 घंटे तक बनाया बंधक

1. ज्यादा से ज्यादा लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए आतंकियों ने होटल ताज में गोलीबारी शुरू कर दी। उन्होंने होटल में मौजूद पर्यटक, विदेशी नागरिकों और होटल कर्मचारियों को बंधक बना लिया।
2. होटल में बंधक बनाए गए लोगों को आतंकी अपने बचाव में हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने लगे।
3. आतंकी सुरक्षा बलों पर गोली चलाकर इन बंधकों के पीछे छुप जाते थे। बंधकों को बचाने के लिए सुरक्षाबल और एनएसजी एहतियातन फायरिंग नहीं कर पा रहे थे।
4. 27 नवंबर की देर शाम आतंकियों ने ताज होटल के जीएम की पत्नी और उनके तीन बच्चों की हत्या कर दी ताकि सुरक्षाकर्मी और एनएसजी के कमांडो डर कर उन पर गोली ना चलाएं।
5. अब एनएसजी के लिए दोहरी चुनौती थी। एक तो उन्हें पहले बंधकों को छुड़ाना और फिर आतंकियों को मारना था।
6. एनएसजी के कमांडो होटल के अंदर ना घुस सकें इसलिए आतंकियों ने अंदर आने वाले सभी रास्तों को या तो बंद कर दिया था या फिर वहां आग लगा दी।
7. सुरक्षाकर्मियों को आतंकी लगातार इस बात से डरा रहे थे कि अगर उन्होंने होटल के अंदर आने की कोशिश की तो वो और बंधकों की हत्या कर देंगे।
8. आतंकियों ने 72 घंटों में होटल में करीब 25 बंधकों को मौत के घाट उतार दिया था।
9. आतंकियों की परवाह किए बिना सबसे पहले एनएसजी ने होटलों में बंधक बनाए गए सैकड़ों मेहमानों को सुरक्षित निकालने का फैसला किया और फायरिंग को रोककर वो पहले होटले में फंसे मेहमानों का रेस्क्यू करने लगे।
10. जब एनएसजी ने ये पक्का कर लिया कि अब होटल में कोई बंधक नहीं है तब उन्होंने आतंकियों को मार गिराने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी।
11. मुठभेड़ के दौरान आतंकियों ने होटल में 24 धमाके किए ताकि एनएसजी और सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाया जा सके।
12. 28 नवंबर को पूरे दिन आतंकियों और एनएसजी के बीच गोलीबारी होती रही।
13. अब आतंकियों से सीधे लोहा लेने के लिए एनएसजी ने नेवी के हेलिकॉप्टर की मदद से अपने कमांडो को ताज होटल से सटे इमारत पर उतारा जिसके बाद होटल में घुसकर एनएसजी ने सभी आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया।

पाकिस्तान से आए लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने 3 दिन तक मुंबई में आतंक का खूनी खेल खेला। आतंकियों के इस हमले को नाकाम बनाने में मुंबई पुलिस, महाराष्ट्र एटीएस और एनएसजी के कुल 11 वीर शहीद हो गए।

हमले में महाराष्ट्र के एटीएस चीफ हेमंत करकरे, एसीपी अशोक कामटे, एसीपी सदानंद दाते, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट एसआई विजय सालस्कर, एनएसजी के कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन और कसाब को पकड़ने वाले एएसआई तुकाराम ओंबले शहीद हो गए