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जिन्होंने सरकार को वोट किया उन्हें अपने ही देश में शरणार्थी बना दिया गया: ममता बनर्जी

NRC की लिस्ट में हमारे पूर्व राष्ट्रपति फख़रुद्दीन अली अहमद के परिवार का नाम नहीं देखकर मुझे आश्चर्य हुआ। मैं और क्या कह सकती हूं, ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिनका नाम इस लिस्ट में शामिल नहीं हैं।

Updated on: 31 Jul 2018, 05:25 PM

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने असम में नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) का फाइनल ड्राफ्ट जारी होने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि असम में यह क्या हो रहा है। जिन लोगों ने सरकार बनाने के लिए वोट किया आज उसी को देश में शरणार्थी बना दिया गया है। मैं अपनी मातृभूमी को विभाजित नहीं देखना चाहती।

ममता बनर्जी ने कहा, 'असम में क्या चल रहा है। क्या है NRC की समस्या। यह लोग केवल बंगाली नहीं है यह अल्पसंख्यक हैं, यह हिंदू हैं, यह बंगाली है, यह बिहारी है। पिछले दिनों 40 लाख़ से ज़्यादा लोगों ने सत्ताधीन सरकार के लिए वोट किया और अचानक ही आज उन्हें अपने ही देश में शरणार्थी बना दिया गया।'

ममता ने कहा, 'मैं अपनी मातृभूमी को विभाजित नहीं देख सकती। हमलोग बंगाल में ऐसा नहीं होने देंगे क्योंकि यहां हमलोग रहते हैं। आज यह लोग वोट भी नहीं दे पा रहे हैं।'

उन्होंने आगे कहा, 'NRC की लिस्ट में हमारे पूर्व राष्ट्रपति फख़रुद्दीन अली अहमद के परिवार का नाम नहीं देखकर मुझे आश्चर्य हुआ। मैं और क्या कह सकती हूं, ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिनका नाम इस लिस्ट में शामिल नहीं हैं।'

बता दें कि फ़ख़रुद्दीन अली अहमद भारत के पांचवे राष्ट्रपति थे। वे 24 अगस्त 1974 से लेकर 11 फरवरी 1977 तक राष्ट्रपति रहे।

ममता बनर्जी ने आगे कहा, 'अगर बंगाली कहने लगे कि बिहारी बंगाल में नहीं रह सकते, दक्षिण भारतीय कहें कि उत्तर भारतीय लोग वहां नहीं रह सकते और उत्तर भारतीय कहे कि दक्षिण भारतीय उत्तर भारत में नहीं रह सकते। ऐसी स्थिति में देश के राज्यों का क्या होगा क्योंकि हम सब एक साथ हैं। हमारा देश एक परिवार की तरह है।'

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उन्होंने कहा, 'केवल चुनाव जीतने के लिए लोगों का शोषण नहीं किया जा सकता। आपको नहीं लगता कि जिनका नाम NRC लिस्ट में नहीं है वो अपनी पहचान खो देंगे? कृपया समझने की कोशिश करें भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश बंटवारे से पहले एक ही थे। मार्च 1971 से पहले जो भी बांगलादेशी भारत आए वो यहां के निवासी है।'

बता दें कि सोमवार को NRC का फाइनल ड्राफ्ट जारी होने के बाद 40 लाख़ से ज्यादा लोगों का भविष्य अधर में लटक गया है। इन लोगों का नाम ड्राफ्ट में नहीं है।

वहीं केंद्र सरकार भी इन लोगों की नागरिकता को लेकर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कह रही है।

NRC ड्राफ्ट में 2.89 करोड़ लोगों का नाम शामिल है जबकि असम में 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन दिया था। 40 लाख लोगों के नाम रजिस्टर में क्यों नहीं है, इसके कारणों को सार्वजनिक नहीं किया गया है। हालांकि चार श्रेणियां जरूर बताई गई हैं, जिनसे जुड़े लोगों के नाम शामिल नहीं किए गए।

वह है, 'D (संदिग्ध) वोटर्स, D वोटर्स के बच्चे व परिवार के लोग, जिनके मामले विदेशी न्यायाधिकरण में लंबित हैं और उनके बच्चे।'

NRC के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला ने 40 लाख आवेदकों के नाम न होने की वजह पूछे जाने पर कहा, 'हम कारणों को सार्वजनिक नहीं करने जा रहे हैं। इसकी जानकारी व्यक्तिगत रूप से दी जाएगी। वे एनआरसी सेवा केंद्रों पर जाकर भी कारणों के बारे में पता कर सकते हैं।'

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