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चुनाव से पहले ट्रिपल तलाक पर तीसरी बार अध्यादेश लाएगी मोदी सरकार, शीतकालीन सत्र में पास नहीं हो पाया था बिल

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक कानून पर एक बार फिर अध्यादेश लाने का फैसला किया है.

Updated on: 19 Feb 2019, 08:21 PM

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक कानून पर एक बार फिर अध्यादेश लाने का फैसला किया है. शीतकालीन सत्र और बजट सत्र में इस बिल को राज्यसभा से पास नहीं करा पाने के बाद यह तीसरी बार है जब ट्रिपल तलाक पर मोदी सरकार अध्यादेश ला रही है. संसद के हर सत्र में संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में विपक्ष इस बिल का जबरदस्त विरोध करता है जिसकी वजह से यह अब तक पास नहीं हो पाया है.

विपक्ष की मांग है कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2018 को सेलेक्ट कमिटी को भेजा जाए. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी तीन तलाक से संबंधित विधेयक के महिला विरोधी होने का आरोप लगाया है.

यही वजह थी कि मोदी सरकार को इसे पारित करने के लिए दोबारा अध्यादेश लाना पड़ रहा था. केंद्र की मोदी सरकार ने संसद के मानसून सत्र में तीन तलाक विरोधी बिल 'द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट' को पास कर मुस्लिम महिलाओं को इस अन्याय से आजाद करने की कोशिश की थी. हालांकि राज्यसभा में बिल फंस गया था, जिसकी वजह से उन्हें इस बिल को पास में कामयाबी नहीं मिल पाई थी.

लोकसभा में बीजेपी के पास अपने सांसदों को सहयोगी दलों के सांसदों को मिलाकर बहुमत प्राप्त है, लेकिन राज्यसभा में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है, जिसकी वजह से मोदी सरकार के कई प्रस्ताव यहां फंस जाते हैं.

रविशंकर प्रसाद ने ट्रिपल तलाक बिल को इंसानियत के लिए बताया जरूरी

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मोदी सरकार के बहुप्रतिक्षित ट्रपिल तलाक बिल को पेश किया था जिसके सदन में सरकार और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के बीच जोरदार बहस हुई थी. बिल पेश करने के दौरान रविशंकर प्रसाद ने कहा था, इस मामले क इंसानियत के तराजू से देखा जाए न कि सियासत की नजर से. प्रसाद ने कहा विपक्ष ने जो सुझाव दिए हम बदलने के तैयार रहे. लेकिन महिलाओं को न्याय मिलना चाहिए. तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं को न्याय मिलना ही चाहिए. नारी सम्मान नारी गरिमा के लिए सदन को एकमत होना चाहिए.

रविशंकर प्रसाद ने ट्रिपल तलाक बिल के समर्थन में बहस के दौरान दलील पेश करते हुए कहा था, 20 इस्लामिक देशों ने तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाया है. उन्होंने सवालिया भरे लहजे में कहा भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में यह क्यों नहीं होना चाहिए. प्रसाद ने कहा कि इस मामले को धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.

वहीं दूसरी तरफ इस बिल को लेकर नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग करते हुए कहा था कि अल्पसंख्यकों की भावना का ख्याल रखा जाना चाहिए.