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मोदी कैबिनेट ने चुनाव आयोग के VVPAT से लैस EVM मशीनों की खरीद को दी मंज़ूरी

केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को चुनाव आयोग के नए वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रायल (VVPAT) की खूबी से लैस ईवीएम मशीनों की खरीद को मंजूरी दे दी है।

Updated on: 19 Apr 2017, 03:18 PM

नई दिल्ली:

केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को चुनाव आयोग के नए वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रायल (VVPAT) की खूबी से लैस ईवीएम मशीनों की खरीद को मंजूरी दे दी है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में बात करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि कैबिनेट ने 16.15 लाख मशीनों के लिए 3173 करोड़ रु की मंज़ूरी दे दी गयी है।

कैबिनेट ने इससे पहले दो बार चुनाव आयोग को नई वोटिंग मशीनें खरीदने के लिए पैसा आवंटित किया है। जून 2014 से अब तक चुनाव आयोग नई वीवीपीएटी मशीनों की खरीद के लिए 11 बार केंद्र सरकार को रिमाइंडर भेज चुका है।

पिछले साल केंद्रीय चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर इन मशीनों के लिए फंड की बात कही थी।

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सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से एक अस्थायी समय सीमा पूछते हुए यह बताने को कहा था कि वह कब तक सभी पोलिंग स्टेशनों पर वीवीपीएटी मशीनों का इस्तेमाल शुरू कर देगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने ‘मौजूदा माहौल’ का हवाला देते हुए सरकार से आग्रह किया था कि वह पेपर ट्रेल मशीनों की समयबद्ध खरीद के लिए तत्काल धन जारी करे ताकि 2019 के लोकसभा चुनाव में इन मशीनों का इस्तेमाल किया जा सके।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट नहीं किया था कि ‘मौजूदा माहौल’ से उनका क्या मतलब है, लेकिन ऐसा लगा था कि वे विपक्ष की ओर से ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जाने का हवाला दे रहे थे।

सपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने ईवीएम में कथित ‘गड़बड़ी’ के लिए चुनाव आयोग पर निशाना साधा है। देश के 16 दलों ने हाल ही में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए मतपत्र वाली व्यवस्था फिर शुरू करने का आग्रह किया था।

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अपने पत्र में जैदी ने यह याद दिलाया था कि वे पहले ही सरकार को सूचित कर चुके हैं कि वीवीपीएटी की आपूर्ति के लिए आर्डर फरवरी, 2017 तक नहीं दिया गया तो ‘सितंबर, 2018 तक वीवीपीएटी की आपूर्ति के लिए इन मशीनों का विनिर्माण मुश्किल होगा’।

पिछले 22 मार्च को कानून मंत्री को लिखे पत्र में जैदी ने कहा था कि आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि ‘जरूरी संख्या में वीवीपीएटी को निर्माण के लिए धन जारी किए जाने से 30 महीने के भीतर विनिर्माण किया जा सकता है।’

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