MeToo: एमजे अकबर के खिलाफ 20 महिला पत्रकार गवाही देने को तैयार, आज होगी सुनवाई
अकबर के खिलाफ प्रिया रमानी ने सबसे पहले मीटू कैंपेन के तहत वर्क प्लेस पर यौन उत्पीडऩ के आरोप लगाये थे. प्रिया के एक ट्वीट के बाद से ही अकबर के खिलाफ आरोपों का सिलसिला शुरू हुआ था
नई दिल्ली:
MeToo आंदोलन के तहत यौन उत्पीड़न के आरोपों में घिरे एमजे अकबर के मामले में गुरुवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट सुनवाई करेगी. अकबर के खिलाफ प्रिया रमानी ने सबसे पहले मीटू कैंपेन के तहत वर्क प्लेस पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये थे. प्रिया के एक ट्वीट के बाद से ही अकबर के खिलाफ आरोपों का सिलसिला शुरू हुआ था. गुरुवार को सुनवाई के दौरान प्रिया रमानी के साथ 19 अन्य महिला पत्रकार अकबर के खिलाफ गवाई देंगी. बता दें कि केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने विदेश राज्य मंत्री पद से बुधवार को इस्तीफा दे दिया है.
सभी 20 महिला पत्रकारों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि प्रिया रमानी इस लड़ाई में अकेली नहीं हैं. मानहानि मुकदमें में सुनावाई कर रही कोर्ट से हमारा अनुरोध है कि अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न से जुड़ी हमारी गवाही को भी सुना जाए.
अकबर के खिलाफ प्रिया रमानी के साथ जो अन्य 19 महिला पत्रकार सामने आईं हैं, उनमें शामिल हैं- मीनल बघेल, मनीषा पांडे, तुशिता पटेल, कनिका गहलोत, सुपर्णा शर्मा, रमोला तलवार, होईन्हू हौजे, आयशा खान, कौशलरानी गुलाब, कनिजा गजारी, मालविका बनर्जी, एटी जयंती, हमीदा पारकर, जोनाली बुरगोहैन, सुजाता दत्त सचदेवा, रश्मि चक्रवर्ती, किरण मनाल, संजरी चटर्जी, क्रिश्चियन फ्रांसिस. गुरुवार को अतिरिक्त चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल एमजे अकबर के मामले में सुनवाई करेंगे.
गौरतलब है कि अकबर की ओर से मानहानि का नोटिस भेजने के कुछ घंटे बाद ही रमानी ने बयान जारी कर कहा कि, 'मैं इस बात से बेहद दुखी हूं कि केंद्रीय मंत्री ने कई महिलाओं के आरोपों को राजनीतिक साजिश बताते हुए खारिज कर दिया। मेरे खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला बनाकर अकबर ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। अपने खिलाफ कई महिलाओं के गंभीर आरोपों पर सफाई देने की बजाए वे उन्हें धमकाकर और प्रताड़ित करके चुप कराने की कोशिश करते दिख रहे हैं'.
वहीं अकबर ने आरोप लगाया है कि रमानी ने पूर्णतया झूठे व ओछे बयान द्वारा जानबूझकर, सोच समझकर, स्वेच्छा से और दुर्भावनापूर्वक उन्हें बदनाम किया है, जिसने राजनीतिक गलियारे, मीडिया, दोस्तों, परिवार, सहकर्मियों और समाज में व्यापक रूप से उनकी साख और इज्जत को नुकसान पहुंचाया है.
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अकबर ने अपनी सफाई में कहा है कि, 'कुछ हिस्सों को सबूत के बिना आरोप लगाने का संक्रामक बुखार हो गया है.' साथ ही उन्होंने आरोपों को बेबुनियाद और निराधार बताया था और कहा था--'झूठ के पांव नहीं होते'.
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