बीजेपी की ही रणनीति से उसी को मात देने की तैयारी में मायावती
पिछले लोकसभा चुनाव में जिस तरह भारतीय जनता पार्टी ने हर राज्य में छोटे-छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, उसी तरह की रणनीति बहुजन समाज पार्टी अपना रही है. ऐसा करके मायावती कांग्रेस को बड़ा झटका दे सकती हैं.
नई दिल्ली:
पिछले लोकसभा चुनाव में जिस तरह भारतीय जनता पार्टी हर राज्य में छोटे-छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव में उतरी थी, उसी तरह की रणनीति बहुजन समाज पार्टी अपना रही है. ऐसा करके मायावती कांग्रेस को बड़ा झटका दे सकती हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन की कोशिशों में जुटे हैं, जबकि मायावती की राजनीति के तरीके को जानने वालों का कहना है कि जिस तरह वह राज्यों में छोटे-छोटे दलों से गठबंधन कर रही हैं, उससे नहीं लगता कि महागठबंधन को लेकर वह गंभीर हैं.
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बीजेपी ने पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में अपना दल, भारतीय जन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया था और इसका लाभ भी उसे मिला था. उत्तर प्रदेश में उसे रिकॉर्ड सीटें मिली थीं. इसी तरह पार्टी ने महाराष्ट में रेवोलुशनरी सोशलिस्ट पार्टी के अलावा महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी से समझौता किया था. शिवसेना से तो उसका पहले से गठबंधन था ही. इससे वहां भी पार्टी की तगड़ा फायदा हुआ था. गोवा जैसे छोटे राज्य में भी पार्टी ने छोटे दलों से मिलकर चुनाव लड़ा था और आशातीत सफलता पाई थी. आंध्र प्रदेश में पुराने सहयोगी एन चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलुगुदेशम से पार्टी का टाईअप हुआ था. हालांकि इस बार तेलुगुदेशम ने विशेष राज्य के मुद्दे को लेकर अपनी रहें जुदा कर ली हैं.
इसके अलावा पार्टी ने पूर्वोत्तर में उपस्तिथि दर्ज कराने के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग छोटे दलों से समझौता किया था. उसी का परिणाम है कि आज पूर्वोत्तर के कई राज्यों में पार्टी या तो सत्ता में है या फिर सरकार में भागीदार.
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शायद मायावती बीजेपी के इसी फॉर्मूले को आजमा रही हैं. सबसे पहले मायावती ने कर्नाटक में एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जनता दल एस से चुनावी समझौता किया था. चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिला तो कांग्रेस के समर्थन से कुमारस्वामी की सरकार बानी, जिसमे बसपा के विधायक एन महेश भी मंत्री बने थे, जिन्होंने हाल ही में इस्तीफ़ा दे दिया था.
हरियाणा में न केवल इंडियन नेशनल लोकदल के साथ समझौता किया, बल्कि अभय चौटाला को उन्होंने राखी भी बांधी. इससे पहले उत्तर प्रदेश में बीजेपी नेता लालजी टंडन को भी वह राखी बांध चुकी हैं. हरियाणा के बाद मायावती ने राहुल गांधी की महागठबंधन की कोशिशों को झटका देते हुए छत्तीसगढ़ में अजित जोगी की पार्टी से विधानसभा चुनाव के लिए समझौता किया. अब वह महाराष्ट्र में अपने लिए संभावनाएं तलाश रही हैं.
बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र में बहुजन समाज पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया से चुनावी समझौता कर सकती हैं. इसके अलावा प्रकाश आंबेडकर की पार्टी भारिप बहुजन महासंघ और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से भी बातचीत चल रही है. इन दलों से बातचीत अंतिम चरण में है और सब कुछ सही रहा तो इस साल के अंत तक इसका ऐलान कर दिया जायेगा.
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