मणिशंकर अय्यर ने कहा- अनुच्छेद 35-ए को खत्म करने की कोशिश नहीं होनी चाहिए, किसी के हित में नहीं
इसके अलावा कश्मीर मुद्दे पर अलगाववादियों को साथ लाने की बात पर मणिशंकर अय्यर ने कहा कि बातचीत में हुर्रियत को भी शामिल करना चाहिए।
श्रीनगर:
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा है कि किसी को भी संविधान के अनुच्छेद 35-ए को खत्म करने प्रयास नहीं करना चाहिए। अय्यर ने आशा जताई की सुप्रीम कोर्ट इस मामले को राष्ट्रीय हित में लेकर निर्णय करेगा। श्रीनगर में शनिवार को सेंटर फॉर पीस एंड प्रोग्रेस के द्वारा जम्मू-कश्मीर और भारत-पाकिस्तान संबंध पर चर्चा के इतर मणिशंकर अय्यर ने कहा, 'मेरा मानना है कि किसी को भी इस मुद्दे को नहीं छूना चाहिए। अनुच्छेद 35-ए संविधान का हिस्सा है और किसी को भी इसे हटाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।'
उन्होंने कहा, 'इस मुद्दे को अनावश्यक तरीके से उभारा जा रहा है जो किसी के हित में नहीं है। अनुच्छेद 35-ए को बिगाड़ना नहीं चाहिए ताकि राज्य के लोग भयभीत न महसूस करें।'
अनुच्छेद 35-ए जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों को विशेष अधिकार और सुविधाएं देता है। इस अनुच्छेद की वजह से कोई भी दूसरे राज्य का नागरिक जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकता है और ना ही वहां का स्थायी नागरिक बन सकता है।
अय्यर ने कहा, 'मैं आशा करता हूं और यह मेरी इच्छा है कि अनुच्छेद 35-ए संविधान में बनी रहे ताकि लोगों को किसी तरह का भय महसूस न हो और ऐसा न लगे कि पिछले 90 सालों से जो उनके अधिकार हैं वे लिए जा रहे हैं।' उन्होंने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और मैं आशा करता हूं कि कोर्ट राष्ट्रहित में निर्णय लेगा।
अय्यर से जब यह पूछा गया कि क्या भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस मुद्दे को अगले लोक सभा चुनाव के लिए उठा रही है तो उन्होंने कहा वे इसके बारे में बात नहीं करना चाहते हैं।
इसके अलावा कश्मीर मुद्दे पर अलगाववादियों को साथ लाने की बात पर मणिशंकर अय्यर ने कहा कि बातचीत में हुर्रियत को भी शामिल करना चाहिए।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली अनुच्छेद 35-ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 27 अगस्त को सुनवाई होने वाली है।
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अनुच्छेद 35-ए राज्य विधानसभा को यह अधिकार देता है कि वह राज्य के स्थायी निवासियों की घोषणा कर सकती है और उनके लिए विशेष अधिकार निर्धारित कर सकती है। यह अनुच्छेद 14 मई 1954 से जम्मू-कश्मीर में लागू है। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आदेश पर यह अनुच्छेद पारित हुआ था।
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