दिल्ली में ममता ने जमाया डेरा, तेज हुआ मुलाकातों का सिलसिला - क्या पड़ेगी फेडरल फ्रंट की नींव !
2019 के आम चुनाव से पहले बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के खिलाफ विपक्षी दलों की मुहिम जोर पकड़ती नजर आ रही है।
highlights
- बीजेपी को घेरने की कोशिश तेज, ममता ने दिल्ली में जमाया डेरा
- फेडरल फ्रंट बनाने की कोशिशों को लेकर दिल्ली में कई दलों से ममता की मुलाकात
नई दिल्ली:
2019 के आम चुनाव से पहले बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के खिलाफ विपक्षी दलों की गोलबंदी जोर पकड़ती नजर आ रही है।
कांग्रेस जहां एक ओर समान विचारधारा वाली पार्टियों को एक साथ लाने की कोशिश कर रही है। वहीं देश में तीसरे मोर्चे को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है।
तीसरे मोर्चे की पहल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कर रही हैं, जिसका मकसद देश में एक गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी दलों का गठबंधन तैयार करना है।
ममता की इस पहल को अब अन्य दलों का समर्थन भी मिलता नजर आ रहा है।
सबसे पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने ममता से कोलकाता जाकर मुलाकात की थी और इसी बैठक में बैठक में आगामी चुनाव में बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार को घेरने के लिए एक फेडरल फ्रंट बनाने पर बात हुई थी।
वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी बनर्जी से मुलाकात कर चुके हैं।
अब ममता ने दिल्ली में डेरा जमाते हुए अन्य दलों से बातचीत कर उन्हें साथ लाने की कोशिशें तेज कर दी हैं।
इसी कड़ी में आज उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की। इस बैठक में पवार और बनर्जी के अलावा एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल और दिनेश शर्मा मौजूद रहें।
पवार से उनकी मुलाकात वैसे समय में हुई, जब खुद पवार ने ममता के साथ किसी मुलाकात की खबर को खारिज कर दिया था।
एनडीए के दलों को भी साधने की कोशिश
ममता न केवल विपक्षी दलों को साथ लाने की कोशिश कर रही हैं, बल्कि उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से नाराज चल रहे राजनीतिक दलों को भी साथ लाने की कोशिश कर रही है।
बीजेपी से कई मुद्दों पर नाराज चल रही शिव सेना के सांसद संजय राउत से उनकी मुलाकात इसी कड़ी का हिस्सा रही।
ममता इस पूरी कवायद में कांग्रेस के साथ बातचीत के सभी विकल्प को खुला रखना चाहती है। यही वजह रही कि सोनिया गांधी के डिनर कार्यक्रम में वह खुद तो शामिल नहीं हुईं, लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी के सांसद को जरूर भेजा।
आज भी दिल्ली में उनकी सोनिया गांधी से मुलाकात नहीं हो पाई।
ममता ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'हां, सोनिया जी की तबीयत ठीक नहीं है और उनकी सेहत में सुधार हो रहा है। उनकी तबीयत में सुधार होने के बाद उनसे मुलाकात होगी।'
मायावती और अखिलेश यादव से मिलने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'अगर वह हमें बुलाते हैं तो हम जरूर जाएंगे।'
ममता ने कहा कि वह बुधवार को शत्रुघ्न सिन्हा, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी से मिलेंगी। गौरतलब है कि बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और यशवंत सिन्हा अपनी ही सरकार के खिलाफ लगातार मुखर रहे हैं।
वहीं अटल बिहारी वाजपेयी के समय में केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी भी समय-समय पर नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते रहे हैं।
ममता बनर्जी ने वैसे समय में दिल्ली में डेरा जमाया है, जब लोकसभा में केंद्र सरकार के लिए स्थिति सहज नहीं है।
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर एनडीए से अलग हुई तेलुगू देशम पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर अड़ी हुई हैं, जिसे कांग्रेस के साथ अन्य दलों का समर्थन मिला हुआ है।
संसद में वाईएसआर कांग्रेस, बीजू जनता दल और तेलुगू देशम पार्टी के सांसदों ने भी ममता से मुलाकात की।
तो क्या बनेगा फेडरल फ्रंट ?
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की बेहद अहम माने जाने वाली लोकसभा की दो सीटों पर बीजेपी की हार के बाद विपक्षी दलों की गोलबंदी तेज हुई।
उप-चुनाव में बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर लोकसभा सीट पर पार्टी की करारी हार हुई। वहीं फुलपूर लोकसभा सीट पर बीजेपी चुनाव नहीं जीत पाई।
इन चुनावों में खास बात यह रही कि दोनों ही सीटों पर बीजेपी की हार की वजह उत्तर प्रदेश की दो बड़ी पार्टियों सपा (समाजवादी पार्टी) और बसपा (बहुजन समाज पार्टी) का साथ आना रहा।
इन चुनावों के बाद बीएसपी सुप्रीमो साफ कर चुकी है कि उनका यह गठबंधन आगे भी बना रहेगा।
साफ शब्दों में कहा जाए तो आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों की एकजुटता मजबूत होती नजर आ रही है और अगर कोई फ्रंट बनता है, तो ममता बनर्जी उसका चेहरा हो सकती हैं।
चुनावी विश्लेषकों के मुताबिक शुरुआती स्तर पर इस मोर्चे को लेकर ममता बनर्जी के नाम पर सहमति बनती नजर भी आ रही है।
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