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भारत में कुपोषण है जीडीपी में 4 फीसदी नुकसान का कारण

एक शोध पत्र में कहा गया है कि भारत को कुपोषण के कारण अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के करीब चार फीसदी की क्षति होती है।

Updated on: 21 Jan 2018, 08:47 PM

नई दिल्ली:

एक शोध पत्र में कहा गया है कि भारत को कुपोषण के कारण अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के करीब चार फीसदी की क्षति होती है। लेकिन, खाद्यान्नों के उत्पादन विविधता के साथ-साथ व्यापक पैमाने पर पोषक तत्वों से खाद्य पदार्थो को संपुष्ट करने से इसके विपरीत परिणाम आ सकते हैं।

उद्योग संगठन एसोचैम और कंसल्टेंसी फर्म ईवाई की ओर से संयुक्त रूप से प्रकाशित एक शोध पत्र के मुताबिक, विविध प्रकार के कुपोषण के कारण चार फीसदी जीडीपी की क्षति होती है। रपट में कहा गया है कि महिलाओं और बच्चों पर ज्यादा खर्च करने की जरूरत है। दुनिया के करीब 50 फीसदी कुपोषित बच्चे भारत में हैं।

शोध पत्र में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों का जिक्र किया गया है, जिसमें छह से 59 महीने के करीब 60 फीसदी बच्चों को रक्तहीनता से पीड़ित बताया गया है।

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रपट के मुताबिक, भारत में सिर्फ 10 फीसदी बच्चों को पर्याप्त भोजन मिल पाता है। महिलाएं और लड़कियों की स्थिति भी रोजाना पोषण की खुराक के मामले में ठीक नहीं है, जबकि उनके लिए राजग सरकार ने प्रमुख कार्यक्रम शुरू किए हैं।

15 से 49 साल उम्र वर्ग में 58 फीसदी गर्भवती और 55 फीसदी महिलाएं जो गर्भवती नहीं हैं, रक्तहीनता से पीड़ित हैं।

एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा, 'सरकार के लिए स्वास्थ्य संबंधी और सामाजिक असमानताओं को दूर करने वाली नीतियों को अमल में लाने की जरूरत है।' रिपोर्ट के मुताबिक, मोटे अनाजों में चावल और गेहूं की तुलना में पांच गुना पोषक तत्व हैं और ये लागत प्रभावी फसलें भी हैं। इस तरह उत्पादन विविधता पर ध्यान देने से कुपोषण को दूर किया जा सकता है।

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