महाराष्ट्र के कई गांव सूखे की चपेट में, लोग कीचड़ से भरा दूषित पानी पीने को मजबूर
महाराष्ट्र के कई गांव इन दिनों सूखे की चपेट में यहां के लोगों को पानी के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है वहीं अमरावती के कई गांवों में लोग कीचड़ और दूषित वाला पानी पीने को मजबूर है. ग्रामीणों के इन हालातों से प्रशासन अभी भी बेखबर है.
नई दिल्ली:
'जल ही जीवन है', 'जल है तो कल है' और 'जल ही जीवन' जैसे स्लोगन आपने खूब सुने होंगे लेकिन असल में इसके मायने वहीं समझ सकता है जो बूंद-बूदं पानी के लिए तरसता है. गर्मियों में देश के कई राज्यों के गांव पानी कि किल्लत से जूझ रहे होते हैं, उन्हें पीने के पानी के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है. महाराष्ट्र के कई गांव इन दिनों सूखे की चपेट में यहां के लोगों को पानी के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है वहीं अमरावती के कई गांवों में लोग कीचड़ और दूषित वाला पानी पीने को मजबूर है.ग्रामीणों के इन हालातों से प्रशासन अभी भी बेखबर है.
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मेलघाट में बिहाली और भंडारी गांव के लोगों ने अपना दर्द बताते हुए कहा, 'हम भोजन के बिना तो कुछ समय रह सकते है लेकिन पानी के बिना कैसे जिंदा रहेंगे. हम सभी पानी जमा करने के लिए हर रोज 3-4 घंटे लगाते है, सरकार हमारे लिए कुछ भी नहीं कर रही है.'
Amravati: Residents of Bihali & Bhandri village in Melghat survive on muddy & contaminated water; say, "we can live without food for a while but how will we survive without water. We spend 3-4 hours here everyday to collect water. Government is not doing anything." #Maharashtra pic.twitter.com/FxK0jNVUvP
— ANI (@ANI) June 10, 2019
वहीं शिवराज बेलकर नाम के ग्रामीण ने एक न्यूज एजेंसी को बताया था कि उन्हें पानी के लिए 40 फीट गहरे कुएं में जाना पड़ता है. उन्होंने ये भी बताया कि पहले वो कुएं में से गंदे पानी को हटाते है और फिर साफ पानी का इंतजार करते है, जिसमें उनका काफी समय खर्च होता है. वहीं साफ पानी के इंतजार में तो कभी-कभी गांव के लोगों को पूरा दिन लग जाता है.
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सूखा पूर्व चेतावनी प्रणाली (डीईडब्ल्यूएस) के मुताबिक भारत का लगभग 42 फीसदी हिस्सा 'असामान्य रूप से सूखाग्रस्त' है. पिछले साल के मुकाबले ये आंकड़े 5 फीसदी अधिक है. डीईडब्ल्यूएस की माने तो असामान्य रूप से सूखाग्रस्त इलाके का हिस्सा बढ़कर 42.61 फीसदी हो गया है, जो 21 मई से पहले 42.18 फीसदी था. सबसे बुरी तरह से प्रभावित इलाकों में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान शामिल हैं.
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