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सीपीएम ने कहा, कांग्रेस यूपीए-3 के प्रयोग में नहीं हो पाएगी सफल, खो चुकी है विश्वसनीयता

सीपीएम ने दावा किया है कि क्षेत्रीय दलों ने गैर बीजेपी गठबंधन के नेता के तौर पर कांग्रेस को स्वीकार करने के प्रति उदासीन हैं। पार्टी ने कहा है कि ऐसे में यूपीए-3 के प्रयोग में कांग्रेस सफल नहीं होगी।

Updated on: 22 Mar 2018, 11:37 PM

नई दिल्ली:

सीपीएम ने दावा किया है कि क्षेत्रीय दलों ने गैर बीजेपी गठबंधन के नेता के तौर पर कांग्रेस को स्वीकार करने के प्रति उदासीन हैं ऐसे में यूपीए-3 का प्रयोग सफल नहीं सकेगा। 

पार्टी के मुखपत्र पीपल्स डेमोक्रेसी के संपादकीय में कहा है, 'कांग्रेस एक और यूपीए के प्रयोग में सफल नहीं हो पाएगी क्योंकि इसने अपनी विश्वसनीयता खो दी है और बीजेपी को हराने के लिये सबसे बेहतर तरीका है कि अगले लोकसभा चुनाव में राज्यवार बीजेपी विरोधी वोटों को एकजुट किया जाए।'

संपादकीय ऐसे समय में आया है कि वामदलों ने अपने प्रस्ताव में बीजेपी को हराने के लिये कांग्रेस के साथ किसी भी तरह का सहयोग या चुनावी गठबंधन करने से इनकार किया है। साथ ही पार्टी ने किसी भी क्षेत्रीय दल के साथ राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन करने की संभावना से भी इनकार किया है।

पार्टी ने क्षेत्रीय दलों बीजेडी, टीएरएस और टीडीपी का उदाहरण देते हुए कहा है कि ऐसे दल कांग्रेस के साथ गठबंधन करना स्वीकार नहीं करेंगे।

ये भी दिलचस्प है कि करीब 20 दलों के नेताओं ने जिसमें सीपीएम के भी नेता शामिल थे उन लोगों ने सोनिया गांधी के डिनर में शिरकत की थी। जिसका मुख्य उद्देश्य अगले साल होने वाले आम चुनाव के दौरान बीजेपी विरोधी फ्रंट बनाने पर चर्चा की गई थी।

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सीपीएम ने कहा है, 'कई क्षेत्रीय दल जैसे ओडिशा में बीजेडी, तेलंगाना में टीआरएस और आंध्र प्रदेश में टीडीपी जैसे दल कांग्रेस के सात गठबंधन नहीं करना चाहेंगे।कई और भी दल हैं जो कांग्रेस को गठबंधन का नेता मानना स्वीकार नहीं करेंगे... इनमें सीपीएम भी है।'

संपादकीय ने चेताया भी है कि इसी तरह गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेसी फेडेरल फ्रंट बनाए जाने की कोशिश भी असफल होगी जिसे तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव कर रहे हैं।

संपादकीय में कहा है, 'कुछ क्षेत्रीय दल डीएमके और आरजेडी अपने राज्यों में कांग्रेस के साथ हैं। इसके साथ ही क्षेत्रीय दलों में कई तरह की विरोधाभाष भी हैं जहां तक नीतियों और क्षेत्रीय नीतियों की की बात है जो एक-दूसरे का साथ आने में बाधा बनेंगी।'

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उत्तर प्रदेश के उप चुनावों में एसपी और बीएसपी के सफल गठबंधन का उदाहरण देते हुए सीपीएम ने कहा है कि इस तरह की रणनीति अपनाना बीजेपी को हराने के लिय समय की मांग है।

संपादकीय में कहा गया है, 'बीजेपी को हराने के लिये उत्तर-प्रदेश के उप चुनाव आने वाले समय के चुनावी रणनीतियों के संदर्भ में हमें एक महत्वपूर्ण शिक्षा देते हैं। अगर बीजेपी बड़ी संख्या में सीटें हारती है तो बीजेपी का लोकसभा में बहुमत पाना मुश्किल होगा।'

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