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सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, राइट टू प्राइवेसी है मौलिक अधिकार

राइट टू प्राइवेसी पर सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संवैधानिक बेंच आज फैसला सुनाएगी कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं।

Updated on: 24 Aug 2017, 07:17 PM

नई दिल्ली:

राइट टू प्राइवेसी पर सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संवैधानिक बेंच ने निजता के आधार को मौलिक आधार माना है। 

सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में चीफ जस्टिस जे एस खेहर के अलावा, जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस आर के अग्रवाल, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस अभय मनोहर सप्रे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर शामिल थे।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आधार कार्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं लंबित हैं। याचिकाकर्ताओं की मुख्य दलील है कि आधार कार्ड के लिए बायोमेट्रिक रिकॉर्ड की जानकारी लेना निजता का हनन है।

वहीं, सरकार की यह दलील दे रही है कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने तय किया कि आधार कार्ड की वैधता पर सुनवाई से पहले ये तय किया जाए कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आधार से जुड़े मामले पर निजता के अधिकार पर सुनवाई करते हुए गुरुवार इसे मौलिक अधिकार करार दिया है। अब इसके बाद पांच जजों की बेंच आधार कार्ड की वैधता को लेकर सुनवाई करेगी।

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# निजता के अधिकार की सीमाएं तय हो सकती हैं- सुप्रीम कोर्ट

# आधार मामले में सुप्रीम कोर्ट का अह्म फैसला- सुप्रीम कोर्ट

# निजता का हनन करने वाले कानून ग़लत- सुप्रीम कोर्ट

निजता की जानकारी देना अब अनिवार्य नहीं 

# आधार के लिए निजता की जानकारी देने से मना कर सकते हैं लोग

निजी जानकारी पर सरकार का हक़ नहीं- सुप्रीम कोर्ट

निजता का अधिकार अनुच्छेद-21 के तह्त- सुप्रीम कोर्ट

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