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सुप्रीम संकट पर बोले यशवंत सिन्हा- देश में 1975 की इमरजेंसी जैसे हालात बन रहे हैं

सुप्रीम कोर्ट के चार जजों के ऐतिहासिक कांफ्रेंस के बाद से न्यायपालिका पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी विवाद सुलझाने की कवायद शुरू कर दी है।

Updated on: 13 Jan 2018, 12:28 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के चार जजों के ऐतिहासिक कांफ्रेंस के बाद से न्यायपालिका पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी विवाद सुलझाने की कवायद शुरू कर दी है। एसोसिएशन शनिवार देर शाम मीटिंग करेगा।

वहीं अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने शुक्रवार को कहा, शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के जजों के साथ मिलकर सभी मतभेदों को दूर कर लेंगे। इसके साथ ही वेणुगोपाल ने कहा सुप्रीम कोर्ट के 4 वरिष्ठ जजों के प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जैसे कदम से बचा जा सकता था।

हालांकि मोदी सरकार ने अभी तक पूरे विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी बयान दिया है। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और वकीलों से मुलाकात के बाद कहा कि यह बहुत संवेदनशील मामला है, चार जजों ने जो मुद्दे उठाए हैं वो बहुत महत्वपूर्ण है। जजों ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है इस पर ध्यान देने की जरूरत है।'

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पार्टी के भीतर सब इस मुद्दे पर डरे हुए हैं, मंत्री भी डरे हुए हैं,आदमी को डर लगता है कि उसका पद चला जाएगा: यशवंत सिन्हा।

CJI को सभी सीनियर जज की बैठक करनी चाहिए और जो मुद्दे उठे हैं उन पर बात कर किसी सहमति पर पहुंचना चाहिए: यशवंत सिन्हा।

# अगर 4 जज ऐसी बातें कर रहें है तो जाहिर तौर पर देश में 1975 की इमरजेंसी जैसे हालात बन रहे है: यशवंत सिन्हा।

# यशवंत सिन्हा ने कहा, 4 जजों ने एक असाधारण कदम उठाया

# सुप्रीम कोर्ट विवाद पर बीजेपी के असंतुष्ट नेता यशवंत सिन्हा आज नोएडा स्थित आवास पर करेंगे प्रेस कांफ्रेंस।

# पीएम के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा चीफ जस्टिस के आवास पर पहुँचे और तुंरत निकल गए, चीफ जस्टिस से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने बुलाई बैठक, शाम 6 बजे प्रेस कांफ्रेंस।

जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस मदन बी.लोकुर ने चीफ जस्टिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि पीठ (बेंच) को आवंटित करने के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।

इसमें एक मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) के न्यायाधीश बी.एच. लोया की रहस्यमय परिस्थिति में हुई मौत से संबंधित याचिका को उचित पीठ को न सौंपे जाने का मामला शामिल है।

जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस मदन बी.लोकुर की मौजूदगी में जस्टिस चेलमेश्वर ने हालांकि इस बात का उल्लेख नहीं किया कि वह प्रधान न्यायाधीश द्वारा किस मामले को उचित पीठ को नहीं दिए जाने के बारे में बात क रहे हैं।

जब न्यायाधीशों से विशेष रूप से यह पूछा गया कि क्या वे सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बृजगोपाल हरिकृष्ण लोया की मौत की जांच की मांग करने वाले मामले को लेकर नाराज हैं? जवाब में जस्टिस गोगोई ने 'हां' कहा।

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जज लोया गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख के उस मामले की सुनवाई कर रहे थे, जो उसे कथित रूप से फर्जी मुठभेड़ में मार गिराए जाने से संबंधित था। इस मामले के आरोपियों में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का भी नाम था।

जज लोया का कथित तौर पर हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया था। उनके परिजनों ने उनके निधन की परिस्थितियों पर सवाल उठाया था, और मामले की स्वतंत्र जांच कराए जाने की मांग की थी।

उन्होंने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को लिखे बिना तिथि वाला एक पत्र जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा है कि चीफ जस्टिस सर्वेसर्वा (मॉस्टर ऑफ रॉस्टर) हैं, लेकिन यह व्यवस्था 'साथी न्यायाधीशों पर कानूनी या तथ्यात्मक रूप से चीफ जस्टिस के किसी आधिपत्य को मान्यता नहीं है।'

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