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लिंगायत मुद्दे पर भागवत ने कहा, राक्षसी प्रवृतियां हिंदू धर्म को बांटने की कोशिश कर रही हैं

सिद्धारमैया की कैबिनेट ने हाल ही में लिंगायतों और वीरशैवों को धार्मिक अल्पसंख्यक दर्जा देने के बाद इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेज दिया था।

Updated on: 31 Mar 2018, 08:33 AM

नई दिल्ली:

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले लिंगायत समुदाय को अलग धर्म की मान्यता देने के फैसले पर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने नाराजगी जाहिर की है।

नागपुर में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे आरएसएस चीफ भागवत ने सिद्धारमैया सरकार के खिलाफ नारजगी जाहिर करते हुए कहा कि इस तरह के कार्य हिंदु धर्म के लिए घातक हैं।

उन्होंने कहा, 'एक ही धर्म के लोगों को बांटने की कोशिशें हो रही हैं। जो लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं, वे राक्षसी प्रवृत्ति के तहत बांटों और राज करो की नीति अपना रहे हैं।'

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बता दें कि सिद्धारमैया की कैबिनेट ने हाल ही में लिंगायतों और वीरशैवों को धार्मिक अल्पसंख्यक दर्जा देने के बाद इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेज दिया था।

सिद्धारमैया सरकार के इस कदम को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मजबूत लिंगायत वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

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