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पीएम मोदी ने कहा, विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में भाषा न बने बाधा, स्थानीय भाषा का हो प्रयोग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने का देश के वैज्ञानिकों से कहा है कि वो क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग कर विज्ञान को लोगों के बीच लोकप्रिय करें। ताकि युवाओं में विज्ञान के प्रति रुचि बढ़े।

Updated on: 01 Jan 2018, 05:12 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने का देश के वैज्ञानिकों से कहा है कि वो क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग कर विज्ञान को लोगों के बीच लोकप्रिय करें। ताकि युवाओं में विज्ञान के प्रति रुचि बढ़े।

भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्रनाथ बोस की 125वीं जयंती पर हो रहे कार्यक्रम का वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रोफेसर बोस विज्ञान को क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने की हमेशा वकालत करते रहे हैं। इसके लिये उन्होंने बंगाली भाषा में विज्ञान की मैग्जीन 'ज्ञान ओ बिज्ञान' भी शुरू की।

प्रधानमंत्री ने कहा, 'युवाओं में विज्ञान के प्रति प्रेम बढ़ाने, लोकप्रिय बनाने और समझाने के लिये ये ज़रूरी है कि विज्ञान के प्रचार प्रसार को बढ़ाया जाए। भाषा इसमें रुकावट नहीं बल्कि सुविधा देने वाली बनना चाहिये।'

पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों को आम लोगों में विज्ञान की समझ बढ़ाने के लिये कोशिश करने के लिये कहा।

उन्होंने कहा कि किसी भी खोज और नए शोध का आम जीवन पर क्या आसर पड़ता है इससे ही उसकी उपयोगिता का फैसला किया जाना चाहिये।

उन्होंने कहा, 'क्या आपकी खोज से गरीबों के जीवन आसान हो रहा है, क्या मध्यम वर्ग के लोगों को की समस्याएं खत्म हो रही हैं।'

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उन्होंने कहा, 'लोगों के लिये इसका कोई मतलब नहीं होगा अगर वैज्ञानिकों की खोज और उपलब्धि सिर्फ प्रयोगशाला तक सीमित रहती है। लेकिन जब यही खोज आम लोगों कर पहुंचती है और लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है तभी उसे उसका सही पुरस्कार माना जाएगा।'

उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को देश की सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों को सामने रखकर ही खोज के विषय को चुनना चाहिये।

एस एन बोस 1 जनवरी, 1894 को पैदा हुए थे औऱ उनकी क्वांटम मैकेनिक्स में खोज और योगदान के लिये उन्हें जाना जाता है।

प्रोफेसर बोस ने आइंस्टाइन के साथ काम किया था और उनकी खोज सब एटॉमिक पार्टिकल्स को उनके ही नाम से 'बोसॉन' नाम दिया गया।

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