logo-image

Sri Krishna Janmashtami 2018: आ गया यशोदा का लाल, देश भर में गूंज उठा जय कन्हैया लाल की...

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूरे देश में धूमधाम से मनाया गया। कृष्ण जन्मभूमि मथुरा समेत देश के तमाम मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा।

Updated on: 04 Sep 2018, 12:52 AM

नई दिल्ली:

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूरे देश में धूमधाम से मनाया गया। कृष्ण जन्मभूमि मथुरा समेत देश के तमाम मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा। रात 12 बजते ही मथुरा में ' नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की' गूंजने लगा। यहांबाल गोपाल का जन्म हुआ और बाद में उनका अभिषेक किया गया। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र व्याप्त भाद्र पद अष्टमी को मध्य रात्रि में हुआ था इसलिए हर साल विश्वभर में रात में ही श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। मथुरा में जन्नमाष्टमी मनाने के लिए श्रीकृष्ण जन्माभूमि मंदिर में कन्हैया के भक्तों की भारी भीड़ मौजूद रही। 

क्या है कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास

पौराणिक मान्याताओं के अनुसार द्वापर युग मथुरा में कंस नाम का राजा था और उनकी एक चचेरी बहन देवकी थी। कंस अपनी बहन देवकी से बेहद प्यार करता था। उन्होंने उनका विवाह वासुदेव नाम के राजकुमार से हुआ था। देवकी के विवाह के कुछ दिन पश्चात ही कंस को ये आकाशवाणी हुई की देवकी की आठवीं संतान उसका काल बनेगा। यह सुनकर कंस तिलमिला गए और उसने अपनी बहन को मारने के लिए तलवार उठा ली, लेकिन वासुदेव ने कंस को वादा किया कि वो अपनी आठों संतान उसे दे देंगे मगर वो देवकी को ना मारे।

ये भी पढ़ें: Sri Krishna Janmashtami 2018: राजस्थान का ये प्रसिध्द मंदिर जहां कृष्ण राधा नहीं बल्कि मीरा के साथ हैं विराजमान, जानें वजह

इसके बाद कंस ने देवकी और वासुदेव को मथुरा के ही कारागार में डाल दिया। देवकी के सातों संतान को कंस ने बारी-बारी कर के मार डाला। जब देवकी ने आठवीं संतान के रूप में श्रीकृष्ण को जन्म दिया तो उन्हें कंस के प्रकोप से बचाने के लिए गोकुल में अपने दोस्त नंद के यहां भिजवा दिया।

कहते है कृष्ण के जन्म के समय उस रात कारागार में मौजूद सभी लोग निंद्रासन में चले गए थे।