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किस्सा करुणानिधि के काले चश्मे का, जब पूरे देश में 40 दिनों तक खोजा गया फ्रेम

तमिलनाडु की राजनीति में 60 सालों तक जनता के दिलों पर राज करने वाले मुथुवेल करुणानिधि उर्फ कलाईनर ने मंगलवार को दुनिया से अलविदा कह गए।

Updated on: 08 Aug 2018, 12:32 AM

नई दिल्ली:

तमिलनाडु की राजनीति में 60 सालों तक जनता के दिलों पर राज करने वाले मुथुवेल करुणानिधि उर्फ कलाईनर ने मंगलवार को दुनिया से अलविदा कह गए। इस दौरान वो अपने पीछे कई ऐसे किस्से छोड़ गए जिसने लोगों को अचंभे से भर दिया। ऐसा ही एक किस्सा उनके चश्मे को लेकर भी है। कलाईनार ने 46 सालों तक एक काला चश्मा पहनकर चला करते थे। जिसे उन्होंने 2017 में अलविदा कहा था और उसकी जगह जर्मनी के एक इंपोर्टेड चश्मे को जगह दी।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार करुणानिधि का पुराना चश्मा भारी और असुविधाजनक था। इसके बावजूद उन्हें अपना ये चश्मा बहुत पसंद था और वो इसे बदलना नहीं चाहते थे। डॉक्टरों की सलाह के बाद ही उन्होंने चश्मा बदलने के लिए अपनी सहमति दी।

साल 2017 में करुणानिधि ने जब चश्मा बदलने का फैसला लिया था तब चेन्नई के मशहूर विजय ऑप्टिकल्स ने नए फ्रेम के लिए सारे देश में खोज शुरू की थी। 40 दिन की खोज के बाद जर्मनी से नया चश्मा मंगाया गया। इस नए चश्मे का फ्रेम हल्का था और इसने ही करुणानिधि के 46 साल पुराने चश्मे की जगह ली।

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एक लेखक, कवि, राजनेता और फिर दक्षिण भारतीय सियासत की सबसे मजबूत शख्सियत बनने वाले करुणानिधि ने 94 साल की उम्र में अपने इस चश्मे को अलविदा कहते हुए जर्मनी से इंपोर्टेड नए चश्मे को इसकी जगह दे दी।

हालांकि नया फ्रेम पुराने चश्मे के साथ करुणानिधि की सियासी जिंदगी का ज्यादा सफर नहीं काट सका।

2006 में जब उन्होंने पांचवी बार तमिलनाडु के सीएम के तौर पर कार्यभार संभाला था तब यह बात साफ हो गई थी कि 'कलाईनार' को राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता।

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तमिलनाडु के पांच बार मुख्यमंत्री रहने वाले करुणानिधि का काला चश्मा और पीली शाल उनकी पहचान बन गया था