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जानें क्या है अनुच्छेद 35A, आखिर कश्मीर में क्यों मचा है बवाल?

1954 में भारत के राष्ट्रपति के आदेश पर अनुच्छेद 370 के साथ अनुच्छेद 35ए को जोड़ा गया था. इस धारा के अंतर्गत जम्मू और कश्मीर विधानसभा को राज्य के नागरिकों और उनके विशेषाधिकार को परिभाषित करने की शक्ति मिली थी.

Updated on: 24 Feb 2019, 03:13 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को संविधान के अनुच्छेद 35-ए पर सुनवाई होने की संभावना है. वहीं सुनवाई से पहले सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 150 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है. हिरासत में लिये गये लोगों में मुख्य रूप से जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के प्रमुख अब्दुल हमीद फैयाज सहित इसके सदस्य शामिल हैं. हालांकि, पुलिस ने इसे नियमित प्रक्रिया करार देते हुये कहा कि कुछ नेताओं और संभावित पत्थरबाजों को हिरासत में लिया गया है. वहीं, घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों का कहना है कि जमात-ए-इस्लामी पर यह पहली बड़ी कार्रवाई है.

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हालांकि इस हिरासत के बाद घाटी में तनाव पैदा हो गया है. राज्य में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी होने के बावजूद तनाव व्याप्त है और सड़कों पर लोगों को समूहों में आते-जाते देखा जा रहा है.

अनुच्छेद 35 ए क्या है?

- 1954 में भारत के राष्ट्रपति के आदेश पर अनुच्छेद 370 के साथ अनुच्छेद 35ए को जोड़ा गया था.

- इस धारा के अंतर्गत जम्मू और कश्मीर विधानसभा को राज्य के नागरिकों और उनके विशेषाधिकार को परिभाषित करने की शक्ति मिली थी.

- अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता है जबकि अनुच्छेद 35ए प्रदेश सरकार को यह निर्धारित करने की शक्ति देता है कि कौन यहां का मूल या स्थायी नागरिक है और उन्हें क्या अधिकार मिले हुए हैं.

- ये अनुच्छेद राज्य विषय सूची के उन क़ानूनों को संरक्षित करता है जो महाराजा के 1927 और 1932 में जारी शासनादेशों में पहले से ही परिभाषित किए गए थे. राज्य के विषय क़ानून हर कश्मीरी पर लागू होते हैं चाहे वो जहां भी रह रहे हैं. यही नहीं ये संघर्ष विराम के बाद से निर्धारित सीमा के दोनों ओर भी लागू होते हैं.

- संविधान के इस अनुच्छेद के ज़रिए जम्मू-कश्मीर के स्थायी (मूल) निवासियों को विशेष अधिकार दिए गए हैं.

- इस अनुच्छेद के तहत जम्मू और कश्मीर से बाहर के लोग यहां अचल संपत्ति नहीं ख़रीद सकते हैं और न ही उन्हें राज्य सरकार की योजनाओं का फ़ायदा मिल सकता है. इसके साथ ही प्रदेश में बाहरी लोगों को सरकारी नौकरी भी नहीं मिल सकती है.

- अनुच्छेद 35A के मुताबिक अगर जम्मू-कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर के लड़के से शादी कर लेती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं. साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं.

क्यों उठ रही है हटाने की मांग?

साल 1947 में हुए भारत-पाक बंटवारे के दौरान लाखों लोग शरणार्थी बनकर भारत आए थे. देश भर के जिन भी राज्यों में ये लोग बसे, आज वहीं के स्थायी निवासी कहलाने लगे हैं. लेकिन जम्मू-कश्मीर में उन्हें आज भी उनके तमाम मौलिक अधिकार नहीं मिल पाए है.