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2G घोटाला: कोर्ट ने सभी आरोपियों को किया बरी, कहा- सीबीआई नहीं दे पाई ठोस सबूत

देश के सबसे बड़े घोटाला माने जाने वाले 2जी स्पेक्ट्रम स्कैम में सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक सांसद को मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में सभी आरोपों से बरी कर दिया।

Updated on: 21 Dec 2017, 11:08 PM

नई दिल्ली:

देश के सबसे बड़े घोटाला माने जाने वाले 2जी स्पेक्ट्रम स्कैम में सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक सांसद को मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में सभी आरोपों से बरी कर दिया।

राजा और कनिमोझी के अलावा जज ओ पी सैनी ने शाहिद बलवा, विनोद गोयनका, आसिफ बलवा, राजीव अग्रवाल, करीम मोरानी, पी अम्रीथम और शरद कुमार को भी बरी कर दिया।

इस दौरान सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को जमकर फटकार लगाई, कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के बारे में कहा कि इनकी पूरी कार्रवाई में कहीं भी गंभीरता नहीं दिखी है।

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यहां पढ़िए कोर्ट के इस फैसले से जुड़े 10 पॉइंट्स-

1. सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुनाने के दौरान कहा कि दूरसंचार मंत्रालय के अधिकारियों की समझदारी सवालों के घेरे में है। इस पूरे मामले में मंत्रालय का कोई भी वर्जन विश्वसनीय नहीं है। सभी को इसमें लगा कि बड़ा घोटाला है जबकि ऐसा कुछ है ही नहीं। आरोपियों के खिलाफ दलीलें साबित करने वाले पुख्ता सबूत नहीं है।

2. सीबीआई जज ओपी सैनी ने कहा, मैं पिछले सात साल से पूरी तन्मयता के साथ सभी कार्यदिवसों पर कोर्ट में बैठकर इंतजार करता रहा कि कोई शख्स इस पूरे केस में कोई पुख्ता सबूत लेकर आएगा। लेकिन सब व्यर्थ गया। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि सभी चर्चा, अफवाहों पर बनी धारणा पर विश्वास कर रहे थे।

3. कोर्ट ने कहा, रिकॉर्ड में कोई भी ऐसा सबूत नहीं है जिससे आरोपियों का अपराध सिद्ध हो सके। कटऑफ डेट फिक्सिंग हो या पहले आओ पहले पाओं की नीति में बदलाव, सबूतों के आधार पर साबित नहीं होते।

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4. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस पूरे केस में आरोपपत्र ऑफिशियल रिकॉर्ड की गलत व्याख्या की गई है और वह पूरी तरह से संदर्भ से हटकर है।

5. कोर्ट ने यह कहते हुए फटकार लगाई कि आरोप पत्र पूरी तरह से गवाहों के दिए गए बयानों पर आधारित है, जो कि गवाहों ने कोर्ट में नहीं बोली। ऐसे में कानून उनके बयान को सबूत के तौर पर नहीं ले सकती।

6. कोर्ट ने बताया कि चार्जशीट में जो रिकॉर्ड दिए गए हैं उनके फैक्ट्स गलत हैं। इनमें एंट्री फीस के रिवीजन की वित्त सचिव द्वारा की गई सिफारिश और एंट्री फीस की ट्राई द्वारा की गई सिफारिश जैसे तथ्य गलत पाए गए।

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7. कोर्ट ने सीबीआई और ईडी के आधिकारियों की उदासीनता पर कहा, मुझे यह कहते हुए बिलकुल भी संकोच नहीं है कि आरोपियों के खिलाफ अभियोजन पक्ष बुरी तरह से नाकाम रहा है। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई ने जो आरोप पत्र दाखिल किया है वह वेल कोरियोग्राफ्ड है।

8. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष की गतिविधि आखिर तक गंभीर नहीं दिखी, अभियोजन पक्ष यह भी तय नहीं कर पाया कि वह साबित करना क्या चाहता है?

9. कटऑफ डेट, फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व थ्योरी जैसे आरोपों को लगाने के बाद अभियोजन पक्ष कोई पुख्ता सबूत पेश ही नहीं कर पाए, जिससे आपराधिक साजिश सबित हो सके।

10. इतने बड़े घोटाले में शुरू से लेकर अब तक अभियोजन पक्ष की दलीलें, गवाहों के बयान और पेश किए गए कोई भी सबूतों के बीच तालमेल ही नहीं दिखा।

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