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ये जीएसटी नहीं आसान, महीने में तीन बार फाइल करना होगा रिटर्न

जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स एक अप्रत्यक्ष टैक्स है। यह एक तरह का एकीकृत टैक्स है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगाया जाएगा।

Updated on: 01 Jul 2017, 02:45 PM

highlights

  • जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स एक अप्रत्यक्ष टैक्स है
  • यह टैक्स वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगाया गया है

नई दिल्ली:

जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स एक अप्रत्यक्ष टैक्स है। यह एक तरह का एकीकृत टैक्स है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगाया जाएगा। जानकारों का कहना है कि इसके देश में लागू होने से पूरा देश एकीकृत बाजार में तब्दील हो जाएगा।

बता दें कि जीएसटी के पहले देश में कई अलग-अलगर तरह के अप्रत्यक्ष कर लगाए जाते थे। जैसे-केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Excise), सेवा कर (Service Tax), वैट (Vat), मनोरंजन, विलासित, लॉटरी टैक्स आदि। नई व्यवस्था के तहत पूरे देश में एक ही तरह का टैक्स लगेगा।

2004 में वित्त मंत्रालय के तत्कालिक सलाहकार विजय एल केलकर ने वर्तमान टैक्स संरचना में कई सारी खामियां सरकार को बताई थी। जिन्हें दूर करने के लिए जीएसटी मॉडल की देश में जरुरत थी। इसमें केंद्र और राज्यों के बीच टैक्स की हिस्सेदारी में भी पारदर्शिता लाने की कोशिश की जा रही है।

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क्या है SGST, IGST और CGST

SGST, IGST और CGST वे हैं जो भारत में जीएसटी व्यवस्था के तहत लागू किए गए हैं। इनमें राज्य के अंदर समान बेचने पर सीजीएसटी यानी सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स और एसजीएसटी यानी स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स लगाया जाएगा।

इसे ऐसे समझा जा सकता है कि कोई मध्यप्रदेश का दुकानदार वहीं के रहवासी को सामान बेचता है और वह सामान जीएसटी में 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब में है तो 9 प्रतिशत सीजीएसटी और 9 प्रतिशत एसजीएसटी काटा जाएगा।

वहीं अगर यह खरीदी बिक्री दो राज्यों के दुकानदारों के बीच हो रही है तो इसमें लगने वाला टैक्स आईजीएसटी होगा। यह केवल केंद्र सरकार के खाते में जाएगा।

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किन पर लागू होगा जीएसटी

1. 1.20 लाख रुपए या उससे कम सालाना कारोबार करने वाले लोग सीएसटी के दायरे में नहीं आएंगे।

2. पूर्वोत्तर और विशेष दर्जा वाले राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर, उत्तरखंड और हिमाचल में ये सीमा 10 लाख रुपये तक होगी।

3. 2.20 लाख रुपए से ज्यादा का कारोबार करने वालों को जीएसटीएन पर अपने पैन के जरिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

4. 3.20 लाख से ज्यादा कारोबार करने वाले कारोबारियों की संख्या के हिसाब से 90 प्रतिशत राज्य सरकार के नियंत्रण में आएंगे जबकि 10 प्रतिशत केंद्र सरकार के नियंत्रण में।

5. डेढ़ करोड़ से ज्यादा कमाने वाले व्यापारियों में 10 प्रतिशत में से आधे राज्य सरकार के और आधे केंद्र सरकार के अधीन होंगे।

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ये चीजें होंगी जीएसटी से बाहर

1. जीएसटी से शराब को पूरी तरह से बाहर रखा गया है। इसकी बड़ी वजह यह है कि राज्य सरकारों को इससे बहुत ज्यादा रेवेन्यू मिलता है।

2. पेट्रोलियम पदार्थ जैसे पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस को फिलहाल जीएसटी से बाहर रखा गया है। हालांकि इन पर बाद में जीएसटी लगाए जाने की संभावना है।

3. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को फिलहाल जीएसटी से पूरी तरह से बाहर रखा गया है।

5 टैक्स स्लैब में बंटा है जीएसटी

1. भारत में जो जीएसटी कानून लाया गया है उसमें 5 टैक्स स्लैब रखे गए हैं। जिसमें 0%, 5%, 12%, 18%, 28% टैक्स के दायरे में अलग-अलग वस्तुएं रखी गई हैं।

2. आवश्यकता और रोजमर्जा की वस्तुओं पर कम टैक्स दरें रखीं गईं हैं वहीं लग्जरी आईटम्स पर जीएसटी के रेट्स ज्यादा रखे गए हैं।

3. जीएसटी के बाद देश में ज्यादातर वस्तुएं सस्ती और सेवाएं महंगी होंगी।

4. जीएसटी में सबसे ज्यादा टैक्स दर 28 प्रतिशत रखी गई है, और करीब 19 प्रतिशत ऐसी चीजें हैं जिनपर 28 प्रतिशत टैक्स स्लैब में रखा गया है।

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कितने प्रकार से होगा फाइल

1. एक सामान्य टैक्स पेयर को जीएसटी के बाद अब महीने में तीन बार रिटर्न फाइल करना होगा। इसके अलावा साल में एक बार अलग से रिटर्न फाइल करना होगा।

2. एक सामान्य बिजनेस करने वाले को महीने में तीन और सालभर मे कुल 37 बार रिटर्न फाइल करना होगा।

3. 50 लाख तक के टर्नओवर वाले व्यापारियों को कंपोजिशन स्कीम के तहत रजिस्टर्ड टैक्सपेयर को हर तीन महीने में एक रिटर्न और साल भर में एक कंबाइंड रिटर्न फाइल करना होगा। यह आसाना तरीका है। जिससे टैक्सपेयर को सालभर में केवल 5 बार ही टैक्स भरना होगा।