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किसान क्रांति पदयात्रा : किसानों पर पुलिसिया कार्रवाई के बाद विपक्ष ने साधा मोदी सरकार पर निशाना

सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, यह इस बात की फिर से पुष्टि करता है कि मोदी सरकार किसान विरोधी है. हमने आजादी के बाद भारत में इस तरीके का कृषि संकट नहीं देखा था.

Updated on: 02 Oct 2018, 01:44 PM

नई दिल्ली:

कर्जमाफी और अन्य मांगों को लेकर हजारों किसानों के राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन करने की कोशिश ने केंद्र सरकार ने रोक दी. हरिद्वार से 23 सितंबर को शुरू हुई किसान क्रांति पदयात्रा मंगलवार को दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर रोका गया. भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पानी की बौछारें की गई और आंसू गैस के गोले छोड़े गए. कई जगहों पर धारा-144 लगाई गई हैं. एक प्रदर्शनकारी किसान ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई में कई लोग घायल हो गए जिनमें एक प्रदर्शनकारी बेहोश हो गया. उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए पुलिसकर्मियों ने 'लाठीचार्ज' भी किया.

किसानों पर पुलिस की कार्रवाई के बाद विपक्षी नेताओं ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है और कहा है कि यह सरकार किसान विरोधी है.

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, महात्मा गांधी की जयंती पर मोदी सरकार ने दिखा दिया कि वह भारत में आजादी से पहले वाली ब्रिटिश हुकुमत से कम नहीं है. ब्रिटिश सरकार ने तब किसानों को बर्बाद किया था और आज मोदी सरकार किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़ रही है.

वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, यह इस बात की फिर से पुष्टि करता है कि मोदी सरकार किसान विरोधी है. किसानों को राहत देने के बदले वे किसानों को कर्ज के बोझ और आत्महत्या करने के लिए बाध्य कर इस समस्या को और बढ़ा रहे हैं. हमने आजादी के बाद भारत में इस तरीके का कृषि संकट नहीं देखा था.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, किसानों को दिल्ली में अंदर आने की इजाजत देनी चाहिए, उन्हें क्यों नहीं अंदर आने दिया जा रहा है? यह गलत है. हम सब किसान हैं.

वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, सरकार ने किसानों को किए गए वादों को पूरा नहीं किया, इसलिए यह स्वाभाविक है कि किसान प्रदर्शन करेंगे. यह दुर्भाग्यपूर्ण है, हम पूरी तरह से किसानों के साथ हैं.

मेरठ से आए एक किसान हरमिक सिंह ने कहा, हम सरकार से कोई भीख नहीं मांग रहे हैं. हम अपना अधिकार मांग रहे हैं. उन्होंने बताया कि किसान बिजली की ऊंची दरों और आसमान छूती ईंधन की कीमतों के कारण संकट में हैं. उन्होंने कहा, 'आपको 500 रूपये का गैस ठीक लगता है क्या?'

किसानों की क्या हैं मांगे

किसानों की मुख्य मांग स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करवाना है. मांगों की सूची में बिना शर्त कर्जमाफी, गन्ना मिलों का बकाया भुगतान करना, फसलों का अधिकतम मूल्य दिया जाना, खेतों के लिए मुफ्त बिजली और डीजल के दामों में कटौती शामिल है.

इसके अलावा 60 साल के ऊपर के सभी किसानों के लिए 5000 रुपये पेंशन की मांग है साथ ही जिन किसानों ने खुदकुशी की है उनके परिजनों को नौकरी और परिवार को पुनर्वास दिलाने की मांग उठाई गई है.