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सबरीमाला पर बोले BJP सांसद उदित राज, 'महिलाएं महिलाओं को ही रोक रही हैं, पता नहीं देश में क्या हो रहा है'

केरल में मासिक पूजा के लिए भगवान अय्यप्पा के कपाट आज महिलाओं के लिए खुलेंगे. मदिर में महिलाओं की एंट्री को लेकर राज्य में तनाव की स्थिति है.

Updated on: 17 Oct 2018, 11:28 AM

नई दिल्ली:

केरल में मासिक पूजा के लिए भगवान अय्यप्पा के कपाट आज महिलाओं के लिए खुलेंगे. मंदिर में महिलाओं की एंट्री को लेकर राज्य में तनाव की स्थिति है. मंदिर में भक्तों की सुरक्षा के लिए हज़ारों सुरक्षाकर्मी तैनात किये गए है, जिमसें महिलाएं भी शमिल है. सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री को लेकर सियासी घमासान जारी है. राज्य में एंट्री को लेकर हज़ारों लोग विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं. इस मामले पर बीजेपी सांसद उदित राज की प्रतिक्रिया सामने आई है. बीजेपी सांसद ने कहा, 'मैंने समानता के लिए लड़ाई देखी है, दासता और असमानता के लिए नहीं. एक ओर, देश में पुरुषों द्वारा अत्याचारों के खिलाफ लड़ाई चल रही है और दूसरी तरफ, महिलाएं अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों के खिलाफ लड़ रही हैं.'

न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत के दौरान उदित राज ने कहा, दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है. 'मुझे गुलाम बनाओ, असमान रूप से व्यवहार करें, हम पुरुषों से कम हैं'; महिलाएं महिलाओं को रोक रही हैं। इसमें क्या बात है। मुझे नहीं पता कि इस देश में क्या हो रहा है। यह मेरी निजी राय है, राजनीतिक नहीं.'

बीजेपी नेता सुब्रमणियम स्वमय ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट का फैसला है, लेकिन अब आप कह रहे हैं कि यह हमारी परंपरा है। ट्रिपल तालाक भी इस तरह की परंपरा है, जब इसे खत्म कर दिया गया तो सब लोग प्रशंसा कर रहे थे। अब वही हिंदू अब सड़कों पर आ गए हैं.'

उन्होंने आगे कहा कि यह लड़ाई हिंदू पुनर्जागरण और अंधकारवाद के बीच है. पुनर्जागरण का कहना है कि सभी हिंदू बराबर हैं. जाति व्यवस्था को खत्म किया जाना चाहिए. आज कोई ब्राह्मण केवल बौद्धिक नहीं है, वे सिनेमा, व्यापार में भी हैं. यह कहां लिखा गया है कि जाति जन्म से है?

बता दें कि भारी तनाव के बीच आज सबरीमाला मंदिर के कपट खुलेंगे, जिसे लेकर राज्य में विरोश-प्रदर्शन जारी है. मंगलवार को एक महिला ने पेड़ से लटककर ख़ुदकुशी करने की कोशिश की. धमकियों और प्रदर्शन का सिलिसला जारी है. सूबे के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन भक्तों को मंदिर में रोकने वालों को चेतावनी दे चुके है.

सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. कोर्ट ने 10 से 50 साल की उम्र के बीच की महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश पर लगाया गया प्रतिबंध हटा दिया है.