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केरल बाढ़: केंद्र सरकार ने नीति का दिया हवाला, कहा- नहीं लेंगे UAE से सहायता, विपक्ष ने जताई नाराजगी

पिनरई विजयन ने कहा कि 2016 की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति कहती है कि अगर दूसरे देश की सरकार आपदा पीड़ितों के लिए मित्र भाव से सहायता का पेशकश करती है तो केंद्र सरकार इसे स्वीकार कर सकती है।

Updated on: 23 Aug 2018, 12:08 AM

तिरुवनंतपुरम:

केरल बाढ़ से राहत और सहायता के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के 700 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद को केंद्र सरकार स्वीकार नहीं करेगी। मीडिया में सहायता राशि इंकार करने को लेकर चल रहे अटकलों के बीच बुधवार को विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया कि वे विदेशों से वित्तीय सहायता नहीं ले सकती है और मौजूदा नीति में कोई बदलाव भी नहीं होगा। भारत सरकार ने केरल बाढ़ में मदद के लिए दूसरे देशों की तारीफ की है। विदेश मंत्रालय ने कहा, 'मौजूदा नीति के तहत, सरकार घरेलू प्रयासों के जरिये राहत और पुनर्सुधार की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। एनआरआई, पीआईओ और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से पीएम राहत कोष और सीएम राहत कोष में योगदान का स्वागत किया जाएगा।'

विदेश मंत्रालय ने कहा, 'भारत सरकार केरल बाढ़ त्रासदी के बाद राहत और पुनर्सुधार प्रयास के लिए विदेशी सरकारों सहित दूसरे देशों की मदद की काफी प्रशंसा करती है।'

इससे पहले मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि केंद्र इसे स्वीकार नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा कि '2016 की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति कहती है कि अगर दूसरे देश की सरकार आपदा पीड़ितों के लिए मित्र भाव से सहायता का पेशकश करती है तो केंद्र सरकार इसे स्वीकार कर सकती है। अभी सिर्फ बातचीत चल रही है देखते हैं क्या होता है।'

विजयन ने कहा कि केरल बाढ़ को लेकर यूएई सरकार से फंड ट्रांसफर के लिए जरूरत पड़ने पर राज्य सरकार केंद्र सरकार के साथ उच्च स्तरीय बैठक करेगी। बताया जाता है कि मालदीव और कतर ने भी राज्य को मदद की पेशकश की है।

पिनरई विजयन ने बुधवार को कहा कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को किसी अन्य राष्ट्र के रूप में नहीं देखा जा सकता है। केंद्र द्वारा बाढ़ को लेकर विदेशी सहायता लौटाने के संबंध में विजयन ने कहा, 'मेरा मानना है कि यूएई ने खुद सहायता का प्रस्ताव दिया है। यूएई को किसी अन्य राष्ट्र के रूप में नहीं समझा जा सकता है, जैसाकि उनके शासकों ने रेखांकित किया है।'

विजयन ने बुधवार को कहा कि बाढ़ से प्रभावित कुल 12 लाख लोग अब राज्य के 3,314 राहत शिविरों में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में बुधवार को किसी भी क्षेत्र से किसी को भी बचाने की जरूरत नहीं पड़ी।

विजयन ने कहा, 'सरकार ने केरल में बाढ़ राहत के लिए सहायता करने वाले विभिन्न रक्षा बलों के प्रति प्यार और साभार जताने के लिए 26 अगस्त को विदाई समारोह आयोजित करने का फैसला किया है।'

पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी की केंद्र से गुजारिश

कांग्रेस नेता ए के एंटनी ने बुधवार को मोदी सरकार से नियमों को सरल करने को कहा, ताकि बाढ़ प्रभावित केरल के लिए विदेशों से वित्तीय सहायता आ सके। एंटनी ने मीडिया से कहा, 'अगर पिछली सरकार ने नियमों में बदलाव कर दिया, तो भी मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि मोदी सरकार को इसे फिर से बदलना चाहिए।'

एंटनी ने कहा, 'मौजूदा नियम के मुताबिक, यूएई सरकार द्वारा केरल की सहायता के लिए घोषित 10 करोड़ डॉलर की राशि स्वीकार करना संभव नहीं है। इसलिए नियम को बदलें।'

कांग्रेस नीत UPA सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान नियम बदला गया था कि प्राकृतिक आपदाओं के बाद विदेशों से वित्तीय सहायता स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।

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एंटनी ने कहा, 'यह अवश्य ही नहीं भूलना चाहिए कि मध्यपूर्व में बड़ी संख्या में केरल के प्रवासी रहते हैं। उन देशों की सरकारों का केरल के साथ भावुक संबंध है। इसलिए यूएई सरकार ने इतनी जल्दी प्रतिक्रिया की। उसी तरह हमें संयुक्त राष्ट्र और अन्य एजेंसियों से भी मदद मिलेगी। इसलिए अगर इसके लिए किसी भी कानून में संशोधन की जरूरत है, तो इसे करना चाहिए।'

ओमन चांडी ने बताया निराशाजनक

वहीं केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने बुधवार को कहा कि सदी की सबसे विनाशकारी बाढ़ झेल रहे केरल की मदद के लिए मोदी सरकार की पेशकश निराशाजनक है। कांग्रेस नेता ने केंद्र द्वारा कथित रूप से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की वित्तीय मदद की पेशकश को अस्वीकार करने पर भी नाखुशी जताई। यूएई में हजारों केरलवासी रहते हैं। चांडी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है, 'मुझे माफ कीजिएगा, क्योंकि भारत सरकार द्वारा घोषित की गई वित्तीय सहायता नुकसान के लिहाज से काफी निराशाजनक है।'

चांडी ने कहा, 'यह केरल के लोगों के लिए बड़ी राहत की बात है कि देश-विदेश के कई दयालु लोगों और सामाजिक संगठनों ने इस आपदा को अपना मामला समझा और इस आपदा से पार पाने में हमारी मदद के लिए अविश्वसनीय पेशकश की।' उन्होंने मोदी से आग्रह किया कि वह विदेशी वित्तीय सहायता स्वीकारने में आ रही बाधा को दूर करें।

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यूएई के शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान ने केरल को 700 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की पेशकश की है, जबकि केंद्र ने 600 करोड़ रुपये की सहायता दी है।

थाईलैंड का केंद्र सरकार पर आरोप

वहीं भारत में थाईलैंड के राजदूत चुटिंटॉर्न सैम गोंगसाकडी ने कहा है कि भारत ने बाढ़ प्रभावित केरल के लिए विदेशों से आर्थिक मदद लेने से इंकार कर दिया है। चुटिंटॉर्न ने मंगलवार को ट्वीट किया था, 'अफसोस के साथ अनौपचारिक रूप से स्वीकार किया गया कि बाढ़ प्रभावित केरल के लिए भारत सरकार विदेशी चंदे को स्वीकार नहीं कर रहा है। भारत के लोग, हम दिल से आपके साथ हैं।'

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केरल में 1924 के बाद आई अब तक की सबसे प्रलयकारी बाढ़ की वजह से 3000 राहत शिविरों में लाखों लोग रह रहे हैं। 29 मई से शुरू हुई मॉनसून की बारिश के बाद यहां मृतकों की संख्या करीब 370 तक पहुंच चुकी है।