कर्नाटक: जानिए सीएम एचडी कुमारस्वामी के किंग मेकर बनने की कहानी, पहले थे फिल्म प्रोड्यूसर
चुनाव के दौरान एचडी कुमारस्वामी ने कहा था कि वो किंग मेकर नहीं किंग बनेंगे। उनकी ये बात सच साबित हो गई और उन्होंने कर्नाटक के 26वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लिया।
नई दिल्ली:
चुनाव के दौरान एचडी कुमारस्वामी ने कहा था कि वो किंग मेकर नहीं किंग बनेंगे। उनकी ये बात सच साबित हो गई और उन्होंने कर्नाटक के 26वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लिया।
वोक्कालिगा समुदाय के नेता एचडी कुमारस्वामी की पार्टी जेडीएस कर्नाटक विधानसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर थी।
पिछले एक दशक से कर्नाटक की राजनीति में हाशिये पर खड़ी पार्टी के नेता के तौर पर कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर नहीं देखा जा रहा था लेकिन ये ज़रूर माना जा रहा था कि वो सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
चुनाव परिणाम आने तक भी माना जा रहा था कि जेडीएस एक बड़ी भूमिका निभा सकती है लेकिन अंतिम परिणाम आने तक कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री बनने की संभावनाएं बढ़ गई। क्योंकि बीजेपी बड़े दल के रूप में उभरी कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही और जेडीएस तीसरे स्थान पर रही।
गोवा, मणिपुर और मेघालय में बड़ा दल होने के बावजूद भी कांग्रेस सरकार नहीं बना पाई थी। लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस ने कहा कि वो कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री को तौर पर स्वीकार करेगी और जेडीएस की अगुवाई में सरकार को समर्थन देगी।
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कुमारस्वामी ने इस मौके का फायदा उठाया और इसे हाथ से जाने नहीं दिया। उन्होंने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया।
हालांकि बड़ा दल होने के नाते राज्यपाल वजूभाई वाला ने बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया। लेकिन उसके पास बहुमत नहीं था और विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने के पहले ही उसके मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा।
जिसके बाद कुमारस्वामी का बुधवार को शपथ ग्रहण हुआ और उन्होंने राज्य के सत्ता की कमान संभाल ली।
ये उनका भाग्य ही था कि बीजेपी के खिलाफ तैयार हो रहे मोर्चे की दलों ने उन्हें समर्थन दे दिया और वो मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली। हालांकि इसके पहले भी वो 2007-07 में 20 महीने के लिये मुख्यमंत्री रहे थे।
कुमार स्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी ननेताओं का जमावड़ा लगा हुआ था और सभी बेंगलुरू पहंचे हुए हैं। ये एक ऐसे नेता के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे थे जिसे चुनाव परिणाम तक कोई पूछता नहीं था।
चुनौतियां:
एक कहावत है कि जो ताज पहनता है उसे कष्ट होता है।
हालांकि कुमारस्वामी ने देवगौड़ा परिवार को एक बार फिर कर्नाटक की राजनीति की मुख्य धारा में लाकर खड़ा कर दिया है। लेकिन मंगलवार को कुमारस्वामी ने खुद कहा था कि गठबंधन की सरकार को पूरे पांच साल तक चलाना उनके लिये एक बड़ी चुनौती होगी।
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एक बड़े दल को तौर पर बीजेपी सशक्त विपक्ष होगी जिसे संभालना कुमारस्वामी के लिये चुनौती होगी।
हालांकि कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह का बीजेपी का बहिष्कार किया था और उसने इस दिन को काले दिवस के रुप में मनाया। पार्टी का कहना है कि सत्ता के लालच में बनाई गई सरकार जल्द ही गिर जाएगी।
बीजेपी ने संकेत दे दिये हैं कि राज्य की राजनीति आने वाले समय में इतनी आसान नहीं होगी।
फिल्मों में थी रुचि:
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के तीसरे बेटे एचडी कुमारस्वामी को फिल्मों में रुचि रही है और वो प्रोड्यूसर रहे हैं। उनका राजनीति में आना इत्तेफ़ाक़ है। लेकिन अब वो एक पूर्णकालिक राजनीतिज्ञ है।
कुमारस्वामी कॉलेज के दिनों में कन्नड़ फिल्म अभिनेता राजकुमार के बहुत बड़े फैन थे। आलम ये था कि फिल्मों में राजकुमार जो कपड़े पहनते, ठीक वैसे ही कपड़े खासकर पैंट कुमारस्वामी तुरंत सिलवा लेते थे।
उन्होंने पहली बार 1996 में राजनीति में आए, और रामगर जिले के कर्मपुरा संसदीय सीट से लोकसभा सांसद चुने गए। 1998 में फिर इसी सीट से चुनाव लड़ा लेकिन बहुत कम वोटों से चुनाव हार गए। इसके बाद कुमारस्वामी राज्य की राजनीति में दिलचस्पी दिखाई और विधान सभा का रुख किया लेकिन 1999 के विधान सभा चुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा।
साल 2004 में हुए कर्नाटक विधान सभा चुनाव ने राजनीति में कुमारस्वामी के दिन बदल दिये। वो पहली बार विधान सभा के लिए चुने गए और दो साल बाद ही गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री बने। अपने प्रशंसकों के बीच ‘कुमारन्ना’ के नाम से लोकप्रिय भी हुए।
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