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कर्नाटक में सिद्धरमैया सरकार के अलग झंडे के फैसले से कांग्रेस आलाकमान नाराज़

कर्नाटक राज्य के लिये अलग झंडे के राज्य सरकार के फैसले से कांग्रेस आलाकमान नाराज़ हैं।

Updated on: 18 Jul 2017, 07:41 PM

नई दिल्ली:

कर्नाटक राज्य के लिये अलग झंडे के राज्य सरकार के फैसले से कांग्रेस आलाकमान नाराज़ हैं। राज्य की सिद्धरमैया सरकार ने कर्नाटक के लिये जम्मू-कश्मीर की तरह ही अलग झंडा बनाने के लिये एक समिति गठित की है।

कर्नाटक सरकार के इस फैसले से कांग्रेस ने सिद्धरमैया सरकार के इस फैसले से किनारा कर लिया है।

राज्य के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार ने राज्य के लिए अलग झंडे की मांग उठाई है। इसके लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 9 सदस्यों की कमेटी गठित की है। जो झंडे के डिजाइन और उसे कानूनी मान्यता दिलाने का काम करेगी।
सरकार के 6 जून को दिए आदेश में कन्नड़ और कल्चर डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव को कमेटी का अध्यक्ष बनाया है।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अलग झंडे की मांग की पुष्टि करते हुए कहा, 'क्या संविधान में इस तरह का कोई प्रावधान है, जो राज्यों को अपना झंडा चुनने से रोक सकता है?'

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साथ ही उन्होंने कहा, 'इसका चुनाव से कोई संबंध नहीं है। अगर बीजेपी इसका विरोध करती है। तो क्या वह खुलकर कह सकती है कि वह राज्य के अलग झंडे के खिलाफ है?'

कांग्रेस के महासचिव ने कहा कि उन्हें कर्नाटक सरकार के इस फैसले की जानकारी नहीं है।

बीजेपी ने सिद्धरमैया सरकार के इस फैसले को राजनीति से प्रेरित करार दिया और कहा है कि राज्य में चुनावों के मद्देनज़र इसे मुद्दा बनाया जा रहा है।

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इधर शिवसेना ने भी सिद्धरमैया सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए इसे संविधान के खिलाफ बताया है। पार्टी के सांसद संजय राउत ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग की है।

साल 2012 में भी कर्नाटक के लिए अलग झंडा की मांग उठी थी, लेकिन तत्कालीन बीजेपी सरकार ने विरोध किया था। बीजेपी ने कहा था कि यह कदम 'देश की एकता और अखंडता के खिलाफ है।'

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