logo-image

'हाथ' को मिलेगा साथ या दक्षिण में भी खिलेगा 'कमल', फैसला आज

कर्नाटक ही नहीं बल्कि पूरे देश के लोगों की निगाहें कल आने वाले विधानसभा चुनाव नतीजे पर टिकी हुई है। महज चंद घंटों के बाद यह साफ हो जाएगा कि कर्नाटक की जनता ने किसे अपने सिर पर बिठाया है और किस पार्टी को धूल चटा दी है।

Updated on: 15 May 2018, 12:02 AM

नई दिल्ली:

कर्नाटक समेत पूरे देश की निगाहें आज आने वाले विधानसभा चुनाव नतीजों पर टिकी हुई है।

महज चंद घंटों के बाद यह साफ हो जाएगा कि कर्नाटक की जनता ने किसे अपने सिर पर बिठाया है और किसे खारिज कर दिया है।

मुख्य मुकाबला राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल सेक्युलर के बीच है। 12 मई को कर्नाटक में 222 सीटों के लिए वोट डाले गए थे।

वोटिंग के ठीक बाद हुए चैनलों की एग्जिट पोल में कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा होने के आसार हैं और जेडीएस किंग मेकर की भूमिका में आ सकती है।

लेकिन कांग्रेस के सीएम सिद्धारमैया ने दावा किया है कि पार्टी फिर से सत्ता में वापसी करेगी। ऐसा ही दावा बीजेपी के सीएम उम्मीदवार बी एस येदयुरप्पा ने भी किया है।

एग्जिट पोल में त्रिशंकु विधानसभा की आहट

एग्जिट पोल के आंकड़ों को देखें तो रिपब्लिक-जन की बात के सर्वे में बीजेपी को 114 सीटें मिलती दिख रही हैं, वहीं इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के सर्वे में कांग्रेस को अधिकतम 118 सीटें दी गई हैं।

इसके अलावा एबीपी-सीवोटर, न्यूज एक्स-सीएनएक्स, टाइम्स नाउ-वीएमआर और इंडिया टीवी-वीएमआर के सर्वे में किसी को भी बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है।

एबीपी-सीवोटर के एग्जिट पोल में बीजेपी को 97 से 109 सीटें, कांग्रेस को 87 से 99 सीटें, जेडीएस को 21 से 30 सीटें और अन्य को एक से आठ सीटें मिलती दिख रही हैं।

इंडिया टुडे-एक्सिस के सर्वे में बीजेपी को 79-92 सीटें, कांग्रेस को 106-118 सीटें, जेडीएस को 22-30 सीटें और अन्य को एक-चार सीटें मिलने की बात कही गई हैं।

इंडिया टीवी-वीएमआर के सर्वे में बीजेपी को 87, कांग्रेस को 97, जेडीएस को 35 और अन्य को तीन सीटें मिलने की बात कही गई हैं।

तमाम सर्वे भी कुछ ऐसी ही आंकड़ों के तरफ इशारा कर रहे हैं। सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि कम से कम 30 सीटों पर जीत का अंतर 2 फीसदी से भी कम होगा। ऐसे में कांटे की टक्कर होने की संभावना है।

कांग्रेस ने गोवा-मणिपुर से ली सीख, प्लान B पर शुरू किया काम

हालांकि एग्जिट पोल में राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की आहटों को देखकर कांग्रेस और बीजेपी ने अभी से ही रणनीतिक मोर्च पर काम शुरू कर दिया है।

कांग्रेस के अपने आतंरिक सर्वे में पार्टी को 111 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस की बहुमत के साथ सरकार बन जाएगी लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो इसके लिए भी पार्टी ने योजना बनाई है।

गोवा और मणिपुर में ज्यादा सीटें मिलने के बाद भी सरकार बनाने में नाकाम रह जाने के बाद कांग्रेस ने सीख लेते हुए इस बार परिस्थितियों का आकलन कर प्लान बी भी तैयार किया है।

इसी प्लान के तहत चुनाव परिणाम आने से पहले ही कांग्रेस ने अपने भरोसेमंद नेता गुलाम नबी आजाद और अशोक गहलोत को एक दिन पहले बेंगलूरु भेज दिया है ताकि हर संभावित परिस्थिति में भी सत्ता की बागडोर कांग्रेस के हाथों में ही बनी रहे।

शायद यही वजह है कि परिणाम आने से पहले ही सीएम सिद्धारमैया ने दलित कार्ड खेल दिया है और कहा है कि अगर कोई दलित सीएम बनता है तो उन्हें कोई ऐतराज नहीं होगा।

सिद्धारमैया के इस बयान का यह मायने निकाला जा रहा है कि कांग्रेस किसी भी तरीके से बीजेपी को सत्ता से दूर रखना चाहती है। अगर राज्यसभा में किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता तो बीजेपी हो या कांग्रेस उन्हें सरकार बनाने के लिए जेडीएस का समर्थन लेना होगा।

जेडीएस पहले ही साफ कर चुकी है कि वो धर्मनिरपेक्ष दल का साथ देगी। ऐसे में कांग्रेस दलित कार्ड के जरिए पूर्व पीएम देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस को साध सकती है ताकि किसी भी कीमत में वो बीजेपी के करीब न जा सकें।

और पढ़े: केंद्र ने कावेरी प्रबंधन योजना का ड्राफ्ट SC को सौंपा

कांग्रेस के लिए कर्नाटक इसलिए भी अहम है क्योंकि यही एक बड़ा राज्य अब कांग्रेस शासित रह गया है। ऐसे में अगर पार्टी हारी तो न सिर्फ कांग्रेस की साख को और बट्टा लगेगा बल्कि राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने के सपने को बड़ा झटका लगेगा। यहां कांग्रेस के लिए जीत किसी अमृत से कम नहीं होगा।

बीजेपी को भरोसा दक्षिण में भी खिलेगा कमल

बीजेपी राज्यों में अपने जीत के सिलसिले को लेकर यहां भी आश्वस्त है। बीजेपी के सीएम उम्मीदवार येदयुरप्पा ने पार्टी की जीत का भरोसा जताते हुए सिद्धारमैया के दलित सीएम वाले बयान  पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा, यही बयान सिद्धारमैया ने वोटिंग से 10-12 दिन पहले क्यों नहीं दिया। कांग्रेस को हार का डर सता रहा है इसलिए वो ऐसे बयान दे रही है।

येदयुरप्पा ने कहा जीत मिलने के बाद वो दिल्ली जाएंगे और पीएम मोदी से मुलाकात करेंगे।

अगर बीजेपी कर्नाटक में जीतती है तो उसके 'कांग्रेस मुक्त भारत' अभियान को और धार मिलेगी। लेकिन अगर बीजेपी राज्य में चुनाव हार जाती है तो आने वाले महीने में मध्य प्रदेश और राजस्थान में होने वाले चुनाव में मुश्किलें बढ़ेंगी।

और पढ़ें: कर्नाटक चुनाव: नतीजा आने से पहले बोले सिद्धारमैया, दलित के लिए सीएम पद छोड़ने को तैयार

बीजेपी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटेगा और परिणामों को पीएम मोदी की लोकप्रियता में कमी से जोड़कर देखा जाएगा जिसका खामियाजा लोकसभा चुनाव में पार्टी को उठाना पड़ सकता है।

कर्नाटक चुनाव को साल 2019 के लिए सेमीफाइनल के तौर पर भी देखा जा रहा है। अगर बीजेपी को यहां जीत मिलती है तो न सिर्फ उसकी सत्ता में वापसी होगी बल्कि 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए पीएम मोदी का रास्ता भी साफ होगा।

साल 2013 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी कांग्रेस को 122 सीटें मिली थी जबकि बीजेपी को सिर्फ 40 सीटों से संतोष करना पड़ा था।

और पढ़ें: कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना, प्लान बी को लेकर हरकत में कांग्रेस-BJP का बहुमत का दावा