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कर्नाटक का जनादेश : बढ़े वोट लेकिन हार गई कांग्रेस, मजबूत हुई बीजेपी पर सरकार बनाने में फंस गया पेच

2013 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले बीजेपी के समर्थन में इस बार जबरदस्त इजाफा हुआ है। पार्टी को पिछले चुनाव में महज 19.89 फीसदी वोट मिले और उसे 40 सीटों पर संतोष करना पड़ा।

Updated on: 15 May 2018, 11:35 PM

highlights

  • कर्नाटक चुनाव का नतीजा बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस के लिए चौंकाने वाला साबित हुआ है
  • पिछले चुनाव के मुकाबले बीजेपी ने इस बार जोरदार वापसी की लेकिन उसे स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया
  • वहीं कांग्रेस की वोट हिस्सेदारी में बढ़ोतरी होने के बावजूद चुनाव में उसे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा

नई दिल्ली:

कर्नाटक चुनाव का नतीजा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मुकाबले कांग्रेस के लिए चौंकाने वाला साबित हुआ।

पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले बीजेपी ने इस बार के चुनाव में जोरदार वापसी की लेकिन उसे स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया।

वहीं पिछली बार 2013 में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने वाली कांग्रेस को बीजेपी से ज्यादा वोट मिलने के बावजूद करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।

बीजेपी को 104 सीटें मिली हैं, वहीं कांग्रेस को 78 सीटों पर जीत मिली है। जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) और गठबंधन को 38 सीटें मिली हैं जबकि अन्य क के खाते में दो सीटें गई हैं। 

बीजेपी की वोट हिस्सेदारी में भारी उछाल

2013 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले बीजेपी के समर्थन में इस बार जबरदस्त इजाफा हुआ है। पार्टी को पिछले चुनाव में महज 19.89 फीसदी वोट मिले और उसे 40 सीटों पर संतोष करना पड़ा। 

बीजेपी विपक्ष में बैठी और कर्नाटक में सिद्धारमैया के नेतृत्व में कांग्रेस की जोरदार वापसी हुई।

लेकिन 2019 में बीजेपी अपने चुनावी प्रबंधन और शाह की 'रणनीति' के दम पर इस ट्रेंड को पलटने में सफल रही।

36.2 फीसदी वोट हिस्सेदारी के साथ बीजेपी 104 सीटें जीतने में सफल रही, जो सरकार बनाने के जादुई आंकड़े से 8 सीटें कम है।

पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बी एस येदियुरप्पा राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर चुके हैं। 

कांग्रेस को BJP से ज्यादा मत

मौजूदा चुनाव में सर्वाधिक चौंकाने वाला फैक्टर कांग्रेस का वोट प्रतिशत रहा। आंकड़ों को आधार बनाकर देखा जाए तो कर्नाटक में सत्ता विरोधी रुझान, सिद्धारमैया की हार की प्रमुख वजह नहीं रही।

कांग्रेस को कुल 38 फीसदी मत मिले, जो बीजेपी से करीब दो फीसदी अधिक है। हालांकि इसके बावजूद उसे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।

पार्टी को कुल 78 सीटों पर जीत मिली और 43 सीटों का नुकसान उठाना प़ड़ा।

पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले देखा जाए तो कांग्रेस के वोट बैंक में कोई कमी नहीं आई है।

2013 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को कुल 224 में से 122 सीटों पर जीत मिली थी और 36.59 फीसदी मत मिले थे।

इस लिहाज से देखा जाए तो पिछली बार के मुकाबले कांग्रेस के वोट बैंक में ज्यादा की गिरावट नहीं आई है। 

साफ शब्दों में कहा जाए तो कांग्रेस के जनाधार में कोई कमी नहीं आई है।

चुनावी नतीजों के बाद कांग्रेस ने बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए जनता दल सेक्युलर को बिना शर्त समर्थन दिए जाने का ऐलान किया है। लेकिन अगर यह चुनाव पूर्व गठबंधन होता, तो मौजूदा तस्वीर दूसरी होती।

एच डी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) को मौजूदा चुनाव में 18.4 फीसदी वोट मिले हैं और वह 37 सीटों पर कब्जा करने में सफल रही है।

गठबंधन (कांग्रेस 78 और जेडीएस प्लस 38) के पास कुल 116 सीटें होंगी, जो सरकार बनाने के आंक़ड़े से कहीं अधिक है।

नतीजों से आए एग्जिट पोल्स में जेडीएस के 'किंगमेकर' बनने की संभावना जताई गई थी लेकिन नतीजों ने उसे 'किंग' बना दिया।

वहीं कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन के बाद स्पष्ट बहुमत का दावा करने वाली बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने के लिए फिलहाल 'नामुमकिन' से दिखाई देने वाले विकल्पों पर काम कर रही है।

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