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लिंगायत पर कर्नाटक मंत्रिमंडल का निर्णय हिंदू समाज को बांटने का प्रयास: बीजेपी

बीजेपी ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के लिंगायत और वीरशैव लिंगायत हिंदू पंथों को अलग धर्म के रूप में मान्यता प्रदान करने के निर्णय को हिंदू समाज को बांटने का प्रयास बताया है।

Updated on: 21 Mar 2018, 01:32 PM

नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के सोमवार के उस निर्णय को हिंदू समाज को बांटने का प्रयास बताया है, जिसमें लिंगायत और वीरशैव लिंगायत हिंदू पंथों को अलग धर्म के रूप में मान्यता प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।

बीजेपी की लोकसभा सांसद, शोभा करंदलाजे ने ट्वीट किया, 'कर्नाटक के लोग हिंदू समाज को बांटने के आपके इरादे के लिए आपको कभी माफ नहीं करेंगे (मुख्यमंत्री) सिद्धारमैया। वोट बैंक की छुद्र राजनीति के लिए आप एक गंदा खेल खेल रहे हैं। आपने कर्नाटक के नेताओं और स्वामीजी लोगों को बांटकर पूरे समुदाय के साथ छल किया है।'

उन्होंने कहा कि सत्ताधारी कांग्रेस एक अलग धर्म का दर्जा देकर लिंगायतों और वीरशैव लिंगायतों से हिंदू धर्म को न मानने के लिए कह रही है। ये दोनों पंथ 12वीं सदी के समाज सुधारक बासवा की विचारधारा को मानते हैं।

राज्य के कानून मंत्री टी बी जयचंद्र ने मंत्रिमंडल की एक बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, 'कर्नाटक अल्पसंख्यक आयोग की सिफारिशों के अनुसार राज्य मंत्रिमंडल ने लिंगायत और वीरशैव लिंगायत को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया है।'

लिंगायत और वीरशैव लिंगायत समुदाय की इस दक्षिणी राज्य की आबादी में 17 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, और उनके वोट आगामी विधानसभा चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। राज्य में विधानसभा चुनाव अप्रैल-मई में हो सकते हैं।

बीजेपी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार बी एस येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय के हैं, जिनका इस समुदाय में काफी प्रभाव माना जाता है। जबकि कांग्रेस इस समुदाय को अपनी तरफ आकर्षित करना चाहती है।

बैठक से पूर्व राज्य भर से आए लिंगायत संतों के एक समूह ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी और धर्म का दर्जा देने का उनसे आग्रह किया था।

सरकार के निर्णय के बाद संतों ने संवाददाताओं से कहा, 'आयोग की सिफारिशों पर विचार करने के लिए हम मंत्रिमंडल के अत्यंत आभारी हैं।'

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