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कर्नाटक चुनाव 2018: जानिए वो VVIP सीट जहां कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस की इज्जत है दांव पर

आइए जानते हैं 5 विधानसभा सीटों के बारे में जहां से कांग्रेस और बीजेपी के दिग्गज नेता आमने-सामने हैं।

Updated on: 12 May 2018, 12:27 PM

नई दिल्ली:

कर्नाटक चुनाव बीजेपी और कांग्रेस के लिए नाक की लड़ाई बन गई है। एक ओर राज्य के दो दिग्गजों सत्तारूढ़ कांग्रेस के सिद्धारमैया और मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के बीएस येदियुरप्पा के बीच मुख्यमंत्री पद की टक्कर है तो वहीं एच डी देवेगौड़ा की जनता दल सेक्युलर भी चुनावी समीकरण बदलने का दम-खम रखती है।

राज्य में कुल 224 विधानसभा सीटों पर मतदान होते हैं जिसमें से 222 सीटों पर शनिवार वोटिंग शुरू हो गई है। 2 सीटों पर चुनाव आयोग ने चुनाव रद्द कर दी है।

आइए जानते हैं 5 विधानसभा सीटों के बारे में जहां से कांग्रेस और बीजेपी के दिग्गज नेता आमने-सामने हैं।

शिकारीपुरा विधानसभा सीट

शिकारीपुरा विधानसभा सीट पर बीजेपी के सीएम उम्मीदवार येदियुरप्पा का मुकाबला कांग्रेस के गोनी माल्तेश से है। येदियुरप्पा को इस सीट पर हराना बेहद मुश्किल है। उन्होंने शिकारीपुरा सीट से 1983 के बाद 7 बार चुनाव लड़ा है।

वह सिर्फ 1 बार 1999 में चुनाव हारे थे। 2013 में भी जब वह बीजेपी से अलग होकर कर्नाटका जनता पार्टी बनाई और चुनाव लड़ा तब भी वह लगभग 24000 वोटों से जीते थे। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिकारीपुरा विधान सभा सीट पर उनकी पकड़ कितनी मजबूत है।

उन्होंने हाल में ही कहा था, 'शिकारीपुरा में मेरे लिए कोई समस्या नहीं है। मैं 40,000-50,000 वोटों से जीतूंगा।' येदियुरप्पा के खिलाफ में कांग्रेस ने गोनी माल्तेश को खड़ा किया है जो लोकल पंचायत लीडर हैं।

हुबली-धारवाड़ सेंट्रल सीट

इस विधानसभा सीट पर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता जगदीश शेट्टार का मुकाबला कांग्रेस के उम्मीदवार महेश नालवाड़ से है। इस सीट पर भी बीजेपी प्रत्याशी शेट्टार मजबूत नजर आ रहे हैं।

शेट्टार ने 6वीं बार बंबई कर्नाटक क्षेत्र में पड़ने वाले इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले शेट्टार हुबली की इस सीट से पांच बार विधानसभा पहुंच चुके हैं।

हालांकि इस बार जो चीज शेट्टार के खिलाफ जा सकती है वह है एंटी इंकम्बेंसी।

कांग्रेस के उम्मीदवार महेश नालवाड़ लिंगायत समुदाय से आते हैं और इस समुदय का राज्य में बहुत प्रभाव है।

चामुंडेश्वरी विधानसभा सीट

इस सीट पर राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के सामने जेडीएस प्रत्याशी जीटी देवेगौड़ा है। 2013 में जीटी देवेगौड़ा कांग्रेस प्रत्याशी को हराकर इस सीट से विधायक बने थे।

2013 के विधानसभा चुनाव में जेडीएस के जीटी देवगौड़ा को 75 हजार 864 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस उम्मीदवार एम सत्यनारायण को 68 हजार 761 वोट मिले थे। इस तरह से जीडीएस ने 7 हजार 103 मतों से जीत दर्ज की थी।

सिद्धारमैया ने अपनी पुरानी और परंपरागत चामुंडेश्वरी सीट पर दो चुनाव के बाद वापसी की है, जिसके चलते इस सीट पर कर्नाटक की ही नहीं, बल्कि देश की नजर है।

सिद्धारमैया ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत चामुंडेश्वरी सीट से 1983 में की थी। उस समय उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर कांग्रेस के दिग्गज नेता डी जय देवराज को मात दी थी। तब से वह यहां से पांच बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं, जबकि दो बार उन्हें हार का भी सामना करना पड़ा।

वरुणा विधानसभा सीट

मैसूर जिले के अंतर्गत आने वाला वरुणा विधानसभा सीट पर इस बार सिद्धारमैया के छोटे बेटे यतींद्र सिद्धारमैया का सामना है बीजेपी के थोटाडप्पा बस्वाराजू से। 56 वषीर्य थोटाडप्पा बस्वाराजू लिंगायत समुदाय से हैं और 1980 से बीजेपी कार्यकर्ता रहे हैं।

वरुणा विधानसभा क्षेत्र में पहला विधानसभा चुनाव वर्ष 2008 में हुआ था। इसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बाजी मारी थी। वह यहां से 2 बार जीते हैं। इस बार भी उम्मीद है कि इस विधानसभा के लोग उनके बेटे को भी उतना ही प्यार देंगे जितना उन्हें दिया था।

शिमोगा विधानसभा सीट

शिमोगा में भी बीजेपी और कांग्रेस के कद्दावर नेता के बीच जंग है। शिमोगा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के केएस ईश्वरप्पा और कांग्रेस केबी प्रसन्ना कुमार मैदान में हैं।

यह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति समुदाय के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। शिमोगा निर्वाचन क्षेत्र में पुरुष मतादाताओं की संख्या 1,03,626 और महिला मतदाताओं की संख्या 1,03,409 है।

विधानसभा चुनाव 2013 में शिमोगा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के मौजूदा विधायक केबी प्रसन्ना कुमार ने 39,355 वोटों के साथ 50.18 फीसदी वोट हासिल किए थे जबकि कर्नाटक जनता पक्ष केएस रुद्रगौड़ा ने 49.82 प्रतिशत वोटों के साथ 39,077 मत प्राप्त किए थे।

वहीं बीजेपी उम्मीदवार केएस ईश्वरप्पा की बात करें तो वह जगदीश शेट्टर की नेतृत्व वाली बीजेपी की सरकार में उपमुख्य़मंत्री रह चुके हैं। ईश्वरप्पा वर्तमान में कर्नाटक विधान परिषद में विपक्ष के नेता के भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने आरएसएस के कार्यकर्ता के रूप में अपनी सार्वजनिक जिंदगी की शुरुआत की थी।

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