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मोदी राम मंदिर बनाना नहीं चाहते, केवल लोगों की भावनाओं से खेल रहे हैं: कपिल सिब्बल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अयोध्या में राम मंदिर को लेकन गंभीर नहीं हैं बल्कि उनके द्वारा इसका प्रयोग प्रत्येक चुनाव में लोगों की 'भावनाओं का दोहन' करने के लिए किया जाता है.

Updated on: 07 May 2019, 05:23 PM

highlights

  • बीजेपी अयोध्या में राम मंदिर को लेकन गंभीर नहीं
  • कांग्रेस के वकील सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर को अटा रहे हैं
  • एक तरफ उनके वकील कहते हैं कि यह टाइटिल सूट

नई दिल्ली:

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अयोध्या में राम मंदिर को लेकन गंभीर नहीं हैं बल्कि उनके द्वारा इसका प्रयोग प्रत्येक चुनाव में लोगों की 'भावनाओं का दोहन' करने के लिए किया जाता है. मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से दिसंबर 2017 तक पेश होने वाले वकील सिब्बल ने प्रधानमंत्री के आरोपों को खारिज कर दिया कि कांग्रेस के वकील मामले के समाधान को रोकने का प्रयास करते हैं, जोकि बीते दो दशकों से चल रहा है.

उन्होंने राजनीतिक और धार्मिक रूप से संवेदनशील इस मामले पर मोदी और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, 'उनको इसमें रुचि नहीं है. वे एकबार फिर लोगों को मूर्ख बना रहे हैं. यह एक और जुमला है. वे लोगों की भावनाओं का दोहन कर रहे हैं.'

मोदी के लिए मंदिर मुद्दा आस्था का मामला नहीं

उन्होंने कहा, 'मोदी के लिए मंदिर मुद्दा आस्था का मामला नहीं है, क्योंकि अगर यह आस्था का मामला होता तो वे इसे काफी पहले उठाते. मोदी 2014 में (जब वह प्रधानमंत्री बने) और अन्य लोग इससे पहले इस मुद्दे को उठा सकते थे.'

उन्होंने कहा, 'वास्तव में, मोदी कभी गंभीर नहीं थे. वे राम मंदिर को लेकर बिलकुल भी गंभीर नहीं हैं. अगर वे गंभीर होते, तो उन्होंने इसे क्यों नहीं 2014 या 2015 या 2016 या 2017 में उठाया?'

कांग्रेस नेता ने कहा, 'भाजपा ने इन सालों में राम मंदिर को भुला दिया और चुनाव से पहले, वे इस मुद्दे को उठाना चाहते हैं. क्यों? क्योंकि वे हमेशा इसका इस्तेमाल करना चाहते हैं. इस वादे को उन्होंने देश से 30 वर्ष पहले किया था. लेकिन, वे इसे पूरा करने में कभी सक्षम नहीं हुए.'

यह पूछे जाने पर कि भाजपा अयोध्या में राम मंदिर बनाने के वादे को क्यों पूरा नहीं कर पाई, उन्होंने कहा, 'क्योंकि वे इसको लेकर गंभीर नहीं हैं. वे हर बार चुनाव में इसका प्रयोग करने के लिए इस मुद्दे को जिंदा रखना चाहते हैं. वे इस बारे में गंभीर नहीं हैं.'

रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद 

आठ मार्च को सर्वोच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले के स्थायी समाधान के लिए अदालत की देखरेख में मध्यस्थता का आदेश दिया था. अदालत ने सेवानिवृत न्यायाधीश एफएम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन मध्यस्थों की समिति गठित की है.

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प्रधानमंत्री ने कहा था कि कांग्रेस के वकील सर्वोच्च न्यायालय में अयोध्या मामले के समाधान को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, इस बारे में पूछे जाने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, "कैसे?.. वह कह सकते हैं लेकिन इसका कोई तो आधार होना चाहिए.'

उन्होंने कहा कि कांग्रेस उन कार्यवाहियों में कभी भी एक पार्टी नहीं रही है.

उन्होंने कहा, 'मैं अंतिम बार दिसंबर 2017 में इस मामले में पेश हुआ था. हम अभी 2019 में हैं. किसने अदालत को मामले पर निर्णय लेने से रोका है. कांग्रेस पार्टी या कांग्रेस के वकील? वास्तव में, कांग्रेस के वकील राम मंदिर के लिए पेश हुए थे. मिस्टर मोहन परासरन. कौन हैं वह? कांग्रेस के आदमी..वह किसके लिए पेश हुए? राम मंदिर के लिए.'

सिब्बल ने कहा, 'देखिए कोई पार्टी नहीं है, सभी व्यक्तिगत तौर पर हैं. कांग्रेस के वकील भी राम मंदिर मामले में पेश हुए. परासरन कांग्रेस वकील नहीं हैं? कम से कम, मैं दिसंबर 2017 के बाद से पेश नहीं हुआ हूं. वह लगातार पेश हुए हैं.'

 2017 के बाद से, 15 बार सुनवाई हो चुकी

उन्होंने कहा, 'इसलिए प्रधानमंत्री का यह आरोप फर्जी है, तथ्यात्मक रूप से फर्जी है, क्योंकि 2017 के बाद से, 15 बार सुनवाई हो चुकी है. किसने रोका है?'

भाजपा पर निशाना साधते हुए सिब्बल ने कहा, 'उनका कहना क्या है- यह कि अगर अदालत मामले के विरुद्ध सुनवाई करती है, तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे. हम तब इसे स्वीकार करेंगे जब अदालत हमारे पक्ष में फैसला सुनाएगी. एक तरफ उनके वकील कहते हैं कि यह टाइटिल सूट है. दूसरी तरफ वे कहते हैं कि यह आस्था का मामला है. दोनों एक साथ नहीं चल सकते.'