जस्टिस रंजन गोगोई ने 46वें प्रधान न्यायधीश के रूप में ली शपथ, पहले दिन ही कही यह बड़ी बात
गोगोई को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शपथ दिलाई। वह मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा के बाद भारत के 46वें प्रधान न्यायधीश बने हैं।
नई दिल्ली:
जस्टिस रंजन गोगोई ने दस बजकर 45 मिनट पर देश के 46 वे चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली और करीब 12 बजे कोर्ट रूम में बैठते ही यह साफ कर दिया कि वो सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली में अहम बदलाव करने जा रहे हैं। चीफ जस्टिस ने वकीलो को मेशनिंग ( मामले की जल्द सुनवाई या आउट ऑफ टर्न ) पर सुनवाई से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए वो जल्द ही पैरामीटर तय करेंगे।
मेशनिंग सुनने से इंकार किया
चीफ जस्टिस के कोर्ट रूम में बैठने से पहले ही कोर्ट रूम खचाखच भरा था। एक बड़ी संख्या उन वकीलों की थी जो अपने मामले की जल्द सुनवाई की मांग के लिए लाइन में खड़े थे लेकिन नवनियुक्त चीफ जस्टिस ने मेशनिंग सुनने से इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा- जब तक फांसी की सजा या घर से निकाले जैसी अर्जेसी न हो, बेंच के सामने मेंशन न करे। किन मामलों की मेशनिग हो सकती है, इसके लिए पहले कोर्ट पैरामीटर तय करेगी।
वकील प्रशांत भूषण ने कुछ रोहिंग्या के देश के बाहर भेजे जाने की बात को चीफ जस्टिस की कोर्ट में रखा तो चीफ जस्टिस ने उनसे भी कहा कि आप याचिका दाखिल करे, इसको लिस्ट किया जाएगा।
इससे पहले वाले चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की कोर्ट में करीब 20 -30 मिनट मेशनिंग में ही लग जाते थे और कई बार नियमित मामलों की सुनवाई सवा ग्यारह बजे के बाद ही शुरू होतो थी।
इसी बीच जब एक वकील ने अपने मामले के पासओवर (केस के आखिरी में सुनवाई की मांग की) तो चीफ जस्टिस ने इंकार कर दिया। जस्टिस रंजन गोगोई ने उनसे कहा कि आप अभी अपने केस पर जिरह कीजिये.
वकील को बधाई देने से रोका
कोर्ट की सुनवाई शुरू होते ही एक वकील मैथ्यू नेदुंपरा ने जब नए चीफ जस्टिस को 'ऑल द बेस्ट कैप्टन एज कैप्टन ऑफ शिप' कह कर बधाई शुरू दी, तो चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उन्हें भी रोक दिया। उन्होंने कहा, 'मिस्टर नेदमपुरा , हमे इसकी ज़रूरत नही है। ये काम का वक्त है, कोर्ट रूम में इसकी ज़रूरत नही। आप मेशनिंग के लिए आये है। मेशनिंग के पैरामीटर तय किये बिना हम इसकी इजाजत नहीं देंगे'
जस्टिस रंजन गोगोई को राष्ट्रपति भवन में बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शपथ दिलाई. वह मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा के बाद भारत के 46वें प्रधान न्यायधीश बने हैं. दीपक मिश्रा का कार्यकाल दो अक्टूबर को समाप्त हो गया था और सोमवार को शीर्ष अदालत में उनके कार्यकाल का आखिरी दिन था.
और पढ़ें- जानिए CJI बनने वाले पूर्वोत्तर के पहले शख्स रंजन गोगोई का सफरनामा
जस्टिस गोगोई (64) सर्वोच्च अदालत में शीर्ष स्थान हासिल करने वाले पूर्वोत्तर भारत के पहले न्यायधीश हैं. वह 17 नवंबर 2019 तक 13 महीने 15 दिनों तक के लिए कार्यभार संभालेंगे.
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