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CVC जांच की निगरानी करने वाले जस्टिस पटनायक ने कहा, अलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत नहीं

सीवीसी के जांच की निगरानी करने वाले सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एके पटनायक ने बातचीत के दौरान कहा कि अलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं था.

Updated on: 12 Jan 2019, 06:41 PM

नई दिल्ली:

सीबीआई निदेशक पद से हटाए गए आलोक वर्मा ने शुक्रवार को सरकारी सेवा से इस्तीफा दे दिया. पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति में ने वर्मा को सीबीआई निदेशक से हटा दिया था. सीवीसी के जांच की निगरानी करने वाले सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एके पटनायक ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत के दौरान कहा कि अलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं था. समिति ने उन्हें हटाने के लिए बहुत जल्दी फैसला लिया.

जस्टिस पटनायक ने कहा, 'सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की शिकायत पर पूरी जांच की गई थी. मैंने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सीवीसी की रिपोर्ट में कोई भी निष्कर्ष मेरा नहीं है.' जस्टिस पटनायक ने कहा, 'भले ही सुप्रीम कोर्ट ने उच्च स्तरीय समिति को फैसला करने के लिए कहा, लेकिन ये फैसला बहुत बहुत जल्दबाजी में किया गया है. हम यहां एक संस्था के मामले को देख रहे हैं. उन्हें अपना दिमाग लगाना चाहिए था, खासकर वहां एक सुप्रीम कोर्ट जज थे. CVC ने जो कहा वे अंतिम शब्द नहीं है.'  

आलोक वर्मा 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उन्हें राकेश अस्थाना के साथ टकरार सार्वजनिक होने के बाद 23 अक्टूबर को छुट्टी पर भेज दिया गया था. आलोक वर्मा को शीर्ष अदालत ने मंगलवार को फिर से सीबीआई निदेशक के तौर पर बहाल कर दिया.करीब दो घंटे तक चली बैठक में अलोक वर्मा पर गाज गिरी है. सिलेक्शन कमिटी ने 2-1 से यह फैसला लिया. मल्लिकार्जुन खड़गे अलोक वर्मा को हटाने के विरोध में थे. सुप्रीम कोर्ट के अलोक वर्मा को फिर से बहाल करने के फैसले के बाद उच्चस्तरीय चयन समिति की बैठक हुई थी. सीवीसी की रिपोर्ट में वर्मा के खिलाफ आठ आरोप लगाए गए थे. यह रिपोर्ट उच्चस्तरीय समिति के सामने रखी गई.

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31 जनवरी को अलोक वर्मा का कार्यकाल समाप्त होना था. 55 सालों में पहली बार सीबीआई के इतिहास में अलोक वर्मा प्रमुख है जिन्होंने ऐसे कार्रवाई का सामना किया है. नए निदेशक की नियुक्ति होने या अगला आदेश आने तक CBI के अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव कामकाज देखेंगे. अलोक वर्मा को फायर सर्विस, सिविल डिफेंस और होम गार्ड का डायरेक्टर जनरल का पदभार लेने से इंकार कर दिया और अपनी सेवा से इस्तीफा दे दिया. 

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वर्मा को विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के साथ उनके झगड़े के मद्देनजर 23 अक्टूबर 2018 की देर रात विवादास्पद सरकारी आदेश के जरिये छुट्टी पर भेज दिया गया था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सरकार के आदेश को चुनौती दी थी. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी आदेश को निरस्त कर दिया था, लेकिन उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की सीवीसी जांच पूरी होने तक उनके कोई भी बड़ा नीतिगत फैसला करने पर रोक लगा दी थी.