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कोयला घोटाला केस : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को तीन साल की सजा, 25 लाख जुर्माना

सीबीआई की विशेष अदालत ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता, झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव ए के बसु और कोड़ा के सहयोगी विजय जोशी को 3 साल की सजा सुनाई।

Updated on: 16 Dec 2017, 01:01 PM

highlights

  • झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को तीन साल की सजा और 25 लाख जुर्माना
  • फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने के लिए सभी दोषियों को मिली 2 महीने की अंतरिम जमानत
  • कोड़ा के अलावा पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता, झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव ए के बसु, विजय जोशी को भी 3 साल की सजा

नई दिल्ली:

कोयला घोटाले केस में सीबीआई की विशेष अदालत ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता, झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव ए के बसु और कोड़ा के सहयोगी विजय जोशी को 3 साल की सजा सुनाई।

हालांकि सीबीआई कोर्ट ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने के लिए सभी दोषियों को 2 महीने की अंतरिम जमानत प्रदान की।

कोर्ट ने 3 साल की सजा के आलावा मधु कोड़ा पर 25 लाख रू, विजय जोशी पर 25 लाख रू, एच सी गुप्ता पर 1 लाख रू, ए के बसु पर 1 लाख रू और कंपनी VISUL पर 50 लाख रू का जुर्माना लगाया है।

आपको बता दें कि कोर्ट ने इन सब को झारखंड में राजहरा नार्थ कोल ब्लॉक को VISUL कंपनी को आवंटित करने में भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के केस में दोषी करार दिया था।

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सज़ा पर जिरह के दौरान सीबीआई और दोषियों की दलील

सीबीआई ने सभी दोषियों के लिए अधिकतम सजा (7 साल ) और कम्पनी वीआईएसयूएल पर भारी जुर्माना लगाने की मांग थी।

सीबीआई की दलील थी कि यह अपने आप में उच्च अधिकारियों के भ्रष्टाचार में शामिल होने का सबसे बड़ा उदाहरण है। इनके पद और आचरण को देखते हुए इन्हें किसी तरह की भी रियायत नही मिलनी चाहिए।

मधु कोड़ा कोयला घोटाले के दूसरे मामलों में भी आरोपी है। एचसी गुप्ता के खिलाफ कोयला घोटाले से जुड़े दस मामले चल रहे है और एक अन्य मामले में उन्हें सजा भी हो चुकी है।

गौरतलब है कि मधु कोड़ा और अन्य दोषियों ने अपने ख़राब स्वास्थ्य और पारिवारिक जिम्मेदारियों का हवाला देते हुए रियायत की मांग की थी।

अंत में कोयला घोटाले में लिप्त सभी दोषियों ने फैसले के बाद कोर्ट से जमानत की अर्जी लगाई। सीबीआई कोर्ट ने हाई कोर्ट में इस फैसले को चुनौती देने के लिए सभी को दो महीने की अंतरिम जमानत दी।

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मामला क्या है?

CBI ने दलील में कहा कि विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लमिटेड कंपनी ने 8 जनवरी, 2007 को राजहरा नॉर्थ कोल ब्लॉक के आवंटन के लिए आवेदन किया था।

झारखंड सरकार और इस्पात मंत्रालय ने वीआईएसयूएल को कोल ब्लॉक आवंटन करने की अनुमति नहीं दी थी। लेकिन स्क्रीनिंग कमेटी ने कंपनी को कोयला खदान आवंटित करने की सिफारिश की थी।

स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष एचसी गुप्ता ने कोयला मंत्रालय का प्रभार देख रहे तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इन तथ्यों को छुपाया कि झारखंड सरकार ने कंपनी को कोयला खदान आवंटन करने की सिफारिश नहीं की थी।

वहीं दूसरी ओर आरोपी सीबीआई की दलीलों को नकारते रहे हैं।

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