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'तीन तलाक' पर जेडीयू मे फिर तरेरी आंख, कहा इस मसले पर नहीं हैं बीजेपी के साथ

तीन तलाक के मसले पर जदयू ने फिर से आंखें तरेरी हैं. पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि एनडीए का घटक होने के बावजूद पार्टी तीन तलाक के मसले पर केंद्र सरकार के साथ नहीं है.

Updated on: 13 Jun 2019, 01:11 PM

highlights

  • जेडीयू ने तीन तलाक पर कहा समाज का मसला है समाज तय करे.
  • पहले भी जेडीयू के विरोध के चलते रास नहीं पहुंचा था बिल.
  • हालांकि पार्टी का कहना इससे एनडीए पर कोई कसर नहीं.

नई दिल्ली.:

नरेंद्र मोदी के बतौर प्रधानमंत्री दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही एनडीए घटक जेडीयू से संबंध कुछ और कहानी कह रहे हैं. मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी से इंकार के बाद जेडीयू ने बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी को तरजीह नहीं दी थी. अब तीन तलाक के मसले पर जदयू ने फिर से आंखें तरेरी हैं. पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि एनडीए का घटक होने के बावजूद पार्टी तीन तलाक के मसले पर केंद्र सरकार के साथ नहीं है. यह तब है जब मोदी 2.0 सरकार ने संसद के बजट सत्र में तीन तलाक को लेकर नया विधेयक लाने की बात केंद्र सरकार ने की है.

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जेडीयू ने कहा समाज से जुड़ा मसला
जेडीयू महासचिव और बिहार सरकार के मंत्री श्याम रजक ने तीन तलाक बिल पर स्पष्ट कहा है कि इस मामले में जेडीयू केंद्र सरकार के साथ नहीं है. उन्होंने कहा कि हमने पहले भी इसका विरोध किया था और अभी भी इसका विरोध करते हैं. हम आगे भी इसका विरोध करेंगे. उन्होंने कहा कि हमारे विरोध की वजह से ही तीन तलाक का बिल राज्यसभा में नहीं आ पाया था. तीन तलाक बिल को लेकर जेडीयू की राय पहले से ही साफ है. चूंकि यह समाज से जुड़ा मसला है. इसलिए जेडीयू का मानना है कि इस मामले को समाज को ही तय करने देना चाहिए.

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जेडीयू की राय मसले पर केंद्र से अलग
एनडीए का घटक दल होने के बावजूद एक महत्वपूर्ण विषय पर मुखालफत के सवाल पर उन्होंने कहा यह मामला एनडीए से नहीं जुड़ा है, बल्कि यह सरकार से जुड़ा हुआ मुद्दा है. इसलिए मुद्दे को लेकर जेडीयू राय बिल्कुल स्पष्ट है. दरअसल, केंद्रीय कैबिनेट ने 'तीन तलाक' (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर पाबंदी लगाने के लिए बुधवार को नए विधेयक को मंजूरी दी थी. केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह जानकारी दी. गौरतलब है कि लोकसभा में किसी विधेयक के पारित हो जाने और राज्यसभा में उसके लंबित रहने की स्थिति में निचले सदन (लोकसभा) के भंग होने पर वह विधेयक निष्प्रभावी हो जाता है.