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विधायकों को केरल भेजने की तैयारी में कांग्रेस-JDS, बीजेपी के लिए बहुमत साबित करना दूर की कौड़ी

कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद बहुमत साबित किए जाने को लेकर स्थिति जटिल होती नजर आ रही है।

Updated on: 17 May 2018, 11:26 PM

नई दिल्ली:

कर्नाटक में बी एस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद बहुमत साबित करने को लेकर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ती जा रही है।

येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने और बहुमत साबित किए जाने के लिए 15 दिनों समय दिए जाने के बाद कांग्रेस-जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) को विधायकों की खरीद फरोख्त का डर सताने लगा है, इसलिए दोनों ही दलों ने अपने विधायकों को केरल भेजने का फैसला किया है।

केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार है। 

खबरों के मुताबिक जेडीएस और कांग्रेस के विधायक आज रात बेंगलुरू के एचएएल एयरपोर्ट से कोच्चि रवाना भेजा जाना था, हालांकि डीजीसीए ने विमान भरने की मंजूरी नहीं दी है।

इस बीच केरल के पर्यटन मंत्री कदाकमपल्ली सुरेंद्रन ने गठबंधन के विधायकों के केरल में आने का स्वागत किया है।

उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'कई सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि कर्नाटक में चुने गए विधायक केरल आ रहे हैं। राज्य के पर्यटन मंत्री होने के नाते मुझे उनका स्वागत करने में खुशी हो रही है।'

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कदाकमपल्ली ने लिखा, 'केरल में किसी तरह की हॉर्स ट्रेडिंग (विधायकों की खरीद फरोख्त) का कोई डर नहीं है।'

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने गुरुवार को कहा कि वे कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (जेडीएस) के सभी विधायकों को विधानसभा में विश्वास मत साबित करने से पहले खरीद-फरोख्त से सुरक्षित रखेंगे। कुमारस्वामी ने यहां मीडिया को बताया, 'कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस अपने सभी विधायकों को बचाकर रखेंगी।'

कुमारस्वामी ने कहा कि जेडीएस राज्य में अपने विधायकों को सुरक्षा देगी। उन्होंने कहा, 'हमे उन्हें सुरक्षित रखना होगा और जेडीएस के सभी 37 विधायक मेरे साथ हैं।'

उन्होंने कहा कि वह बीजेपी के कदमों पर नजर रखे हुए हैं।

वहीं कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने कहा 'बीजेपी के नेता हॉर्स ट्रेडिंग कर रहे हैं। यह अनैतिक और प्रजातंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है। कोई भी विधायक उनकी मांग को पूरा नहीं करेगा।'

गौरतलब है कि 222 सीटों के लिए हुए चुनाव में बीजेपी 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है लेकिन उसके पास बहुमत साबित करने के लिए जरूरी विधायक नहीं हैं।

वहीं कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) गठबंधन के पास से बहुमत से अधिक विधायक हैं लेकिन राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने का न्योता नहीं दिया है।

जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन राज्यपाल के इस फैसले का विरोध कर रहा है। कांग्रेस ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, हालांकि कोर्ट ने येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

गौरतलब है कि कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल-एस ने 117 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी राज्यपाल को सौंपी थी। लेकिन चुनाव बाद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी को राज्यपाल ने सरकार बनाने का न्योता दिया और येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की गुरुवार को शपथ भी दिला दी।

इसके बाद से पूरे देश में सियासी तूफान उठा हुआ है। विपक्ष इसे लोकतंत्र की हत्या बता रही है।

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