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यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा की सफाई, बोले- 'न्यू इकोनॉमी फॉर न्यू इंडिया'

जयंत सिन्हा ने टाइम्स ऑफ इंडिया के ब्लॉग में लिखकर मोदी सरकार की अर्थ नीतियों की ख़ासियतें बताई हैं। उन्होंने साथ ही हाल के दौर में अर्थनीतियों पर लिखे लेखों को 'तथ्यों की सीमित जानकारी' वाला बताया है।

Updated on: 28 Sep 2017, 01:59 PM

नई दिल्ली:

उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने टाइम्स ऑफ इंडिया में ब्लॉग लिख कर यशवंत सिन्हा के उस लेख का जवाब दिया है जिसमें उन्होंने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा था, 'अब बोलना होगा।'

जयंत सिन्हा ने टाइम्स ऑफ इंडिया के ब्लॉग में लिखा है, 'हाल ही में भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियों पर कई लेख लिखे गए हैं दुर्भाग्यवश, ये लेख तथ्यों की सीमित जानकारी के साथ लिखे गए हैं, जो पूरी तरह निष्कर्ष पर पहुंच रहे हैं और आसानी से आर्थिक सुधारों की बुनियादी ढांचे को नजरअंदाज़ कर रहे हैं जो अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए उठाए गए हैं।'

उन्होंने लिखा है, 'जीडीपी विकास दर के शुरुआती दो और तिमाही और अन्य मैक्रो डेटा के आंकड़े ढांचागत सुधारों के दीर्घकालिक प्रभावों के मूल्यांकन करने के लिए काफी अपर्याप्त है।'

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उन्होंने अपने लेख में लिखा है कि सरकार के यह संरचनात्मक सुधार केवल वांछनीय नहीं हैं, उन्हें 'न्यू इंडिया' बनाने और हमारी अरब और मजबूत श्रमिकों के लिए अच्छी नौकरी उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक हैं।

सरकार की नीतियों के तारीफ करते हुए जयंत सिन्हा लिखते हैं, 'नई अर्थव्यवस्था जिसे बनाने की कोशिश की जा रही है, वह और अधिक पारदर्शी, विश्व स्तर पर लागत-प्रतिस्पर्धी और नए विचारों युक्त होगी। महत्वपूर्ण रूप से, नई अर्थव्यवस्था भी अधिक न्यायसंगत होगी जिससे सभी भारतीयों को बेहतर जीवन जीने में मदद मिलेगी।'

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वो लिखते हैं कि जीएसटी, नोटबंदी और डिजिटल भुगतान जैसे कदम भारत की अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप देने के लिए बड़े प्रयास हैं।

इसके अलावा टैक्स दायरे के बाहर हो रहे लेनदेन और अनौपचारिक क्षेत्र के लेनदेन को अब औपचारिक क्षेत्र में तब्दील किया जा रहा है।

जयंत सिन्हा ने समझाते हुए बताया, 'दीर्घावधि में, औपचारिकरण का मतलब होगा (ए) कर संग्रहण ऊपर जाता है और राज्य के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध हैं; (बी) अर्थव्यवस्था में घर्षण कम हो गया है और जीडीपी बढ़ गया है; और (सी) नागरिक ऋण को अधिक प्रभावी ढंग से स्थापित करने में सक्षम हैं क्योंकि लेनदेन रिकॉर्ड डिजीटल हैं।'

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इसके अलावा उन्होंने कहा कि सभी मंत्रालयों में एक नीति के तह्त नियम बनाए जा रहे हैं। प्राकृतिक संसाधनों और लाइसेंस को पारदर्शी नीलामी के जरिए आवंटित किया जा रहा है, जैसे कोयला, स्पेक्ट्रम और यूएनएएन मार्गों के लिए।

इसके अलावा, ' बैंकिंग क्षेत्र में एनपीए का तनाव कम करने के लिए दिवालिया संहिता के तह्त जल्द कार्रवाई होगी।'

'एक सुव्यवस्थित, नियम आधारित एफडीआई माहौल आत्मविश्वास बढ़ाता है। वित्त वर्ष 2014 से 2017 तक एफडीआई 36 अरब डॉलर से बढ़कर 60 अरब डॉलर हो गई है। विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की बर्खास्तगी अर्थव्यवस्था को और भी अधिक खुला माहौल देगी।'

जनधन योजना पर बोलते हुए उन्होंने कहा, ' जन धन-आधार-मोबाइल (जेएएम) ट्रिनिटी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) को बढ़ा रही है और नाटकीय रूप से रिसाव को कम कर रहा है।'

उन्होंने लिखा है, 'पिछले तीन वर्षों में लाभार्थियों को 1.75 लाख करोड़ रुपये का लाभ सीधे स्थानांतरित कर दिया गया है। ' जेएएम' कई 'भूतों' और नकली लाभार्थियों को बाहर निकालने और बिचौलिए को काटने का काम कर रहा है। '

इसके अलावा जयंत सिन्हा ने मोदी सरकार की तमाम योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए लेख लिखा है।

गौरतलब है कि बीजेपी में केंद्रीय राज्यमंत्री जयंत सिन्हा पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के बेटे हैं। यशवंत सिन्हा के बुधवार को इंडियन एक्सप्रेस में छपे एक लेख पर राजनीतिक भूचाल आ गया था।

बीजेपी से ही जुड़े पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने केंद्र की मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाए थे।

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