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जम्मू-कश्मीर में आतंकियों और सुरक्षबलों के बीच मुठभेड़, झड़प में 11 प्रदर्शनकारियों की मौत

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में शनिवार को हुई मुठभेड़ और उसके बाद संघर्षो में 11 लोग मारे गए.

Updated on: 15 Dec 2018, 05:43 PM

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में शनिवार को हुई मुठभेड़ और उसके बाद संघर्षो में 11 लोग मारे गए. घाटी में यहा हाल के इतिहास में यह एक सबसे रक्तरंजित दिन रहा है. इलाके में आतंकियों के छिपे होने की गुप्त सूचना के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके को घेर लिया और इसके बाद सिरनू गांव में मुठभेड़ शुरू हो गई. पुलिस ने बताया कि मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए और एक जवान शहीद हो गया. मुठभेड़ के तुरंत बाद, कई नागरिक प्रदर्शनकारी सुरक्षा बलों के साथ भिड़ गए, जिसके कारण भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बलों ने गोलीबारी की और पेलेट्स दागे.

मुठभेड़ स्थल पर सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुए संघर्ष के दौरान गोलीबारी में दो युवक घायल हो गए, जिनकी पहचान आमिर अहमद और आबिद हुसैन के रूप में हुई है.अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल पहुंचते ही दोनों को मृत घोषित कर दिया गया.  पुलिस ने कहा कि श्रीनगर के एक अस्पताल में एक और प्रदर्शनकारी की मौत हो गई, जिसके बाद इस घटना में मारे गए प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़कर सात हो गई. इलाके से मिली रपटों में कहा गया है कि संघर्ष में 35 से ज्यादा प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं. उनमें से तीन की हालत नाजुक बनी है.

प्रशासन ने पुलवामा में कर्फ्यू लगा दिया है और नागरिकों की मौत के चलते कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उच्च सुरक्षा व्यवस्था की गई है. पुलवामा में मोबाइल सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं और जम्मू क्षेत्र में कश्मीर घाटी और बनिहाल शहर के बीच रेल सेवाएं रोक दी गई हैं. घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक ट्वीट किया, 'कश्मीर में एक और खूनी सप्ताहांत. छह प्रदर्शनकारी मारे गए, ड्यूटी पर तैनात एक जवान शहीद हो गया. सुबह की मुठभेड़ में तीन आतंकवादियों सहित 10 लोग मारे गए. मुठभेड़ स्थल से कई लोगों के घायल होने की खबर है. क्या भयानक दिन है.'

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उमर ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर निशाना साधते हुए कहा, 'राज्यपाल मलिक के प्रशासन में केवल एक काम और सिर्फ एक काम है. जम्मू-कश्मीर के लोगों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना और घाटी में शांति बहाल करना. अफसोस की बात है कि एकमात्र यही चीज प्रशासन नहीं कर पा रहा है. प्रचार अभियान और विज्ञापन भरे पृष्ठ शांति नहीं लाते.' पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी दिन की घटना पर गंभीर चिंता व्यक्त की है.

वरिष्ठ अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने इस घटना को 'कश्मीरियों का नरसंहार' कहा और पूरी घाटी में शनिवार से शुरू तीन-दिवसीय बंद की घोषणा की.
डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट (डीपीएन) के गुलाम हसन मीर सहित अन्य राजनीतिक नेताओं ने भी नागरिक हत्याओं की निंदा की.