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NDA सरकार ने कश्मीर घाटी में आतंकवाद और हिंसा को दोबारा उभरने का मौका दिया: उमर अब्दुल्ला

उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार ने घाटी में आतंकवाद और हिंसा को दोबारा उभरने का मौका दिया।

Updated on: 23 Jun 2018, 09:04 PM

श्रीनगर:

नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर घाटी में आतंकी घटनाओं को लेकर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को जवाब दिया है।

उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार ने घाटी में आतंकवाद और हिंसा को दोबारा उभरने का मौका दिया।

उमर अब्दुल्ला ने रविशंकर प्रसाद के एक ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा, 'दरअसल मंत्री जी यह कहानी बताती है कि आपकी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और हिंसा को दोबारा उभरने का मौका दिया जिससे सुरक्षा बलों को और अधिक आतंकियों को मारने को मजबूर किया। आपको इन आंकड़ों के लिए शर्मिंदा होना चाहिए न कि इसे उपलब्धि बतानी चाहिए।'

उमर अब्दुल्ला ने रविशंकर प्रसाद के उस ट्वीट पर जवाब दिया जिसमें वे आतंकियों के मारे जाने के मामलों में यूपीए और एनडीए कार्यकाल की तुलना कर रहे थे।

रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट किया था, 'जम्मू-कश्मीर में मारे गए आतंकियों की संख्या, 2012- 72, 2013- 67, 2014- 110, 2015- 108, 2016- 150, 2017- 217, 2018 (मई तक)- 75 है, जम्मू-कश्मीर में आतंक से मुकाबले के लिए यूपीए और एनडीए कार्यकाल के दौरान किए गए प्रयासों की यह कहानी है।'

रविशंकर प्रसाद ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के उस बयान पर निशाना साधा था जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार की दमनकारी नीति का सबसे ज्यादा नुकसान आम जनता को भुगतना पड़ता है।

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रविशंकर प्रसाद ने गुलाम नबी आजाद के बयान पर कहा कि क्या कांग्रेस के नेता मोदी विरोध में इतना नीचे चले गए है की वो सेना के मनोबल को गिराना चाहते है।

इससे पहले गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि कार्रवाई को ऑपरेशन ऑल आउट कहना स्पष्ट रूप से बताता है कि वे बड़े जनसंहार की योजना बना रहे हैं। गौर करने वाली बात है कि वे यह नहीं कहते कि इस मसले को बातचीत के जरिए हल किया जाएगा। जबकि पूरी दुनिया ने देखा कि अमेरिका और उत्तर कोरिया ने अपने मसले बातचीत से हल किए।

आजाद ने कहा था कि कश्मीर की इस हालत के पीछे बड़ा कारण यह है कि जिस दिन से प्रधानमंत्री मोदी सत्ता में आए हैं, वो हमेशा एक्शन की बात करते हैं। इससे लगता है कि वह हमेशा बंदूक का उपयोग करना चाहते हैं। वह किसी संगठन या लोगों से बातचीत में यकीन नहीं रखते।

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