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J&K: पुलवामा में 18 घंटे बाद एनकाउंटर खत्म, 3 आतंकी ढेर, DIG, ब्रिगेडियर, कैप्टन और लेफ्टिनेंट को लगी गोली

इन सभी को अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है. इसके बावजूद भारतीय सेना आतंकियों को लगातार मुंहतोड़ जवाब दे रही है.

Updated on: 18 Feb 2019, 07:32 PM

श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों के साथ पिछले 18 घंटों से चल रहे भीषण मुठभेड़ में दक्षिण कश्मीर पुलिस के उपमहानिदेशक (डीआईजी) अमित कुमार, सेना के ब्रिगडियर, कैप्टन और लेफ्टिनेंट गोली लगने से घायल हो गए हैं. इन सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इसके बावजूद भारतीय सेना आतंकियों को लगातार मुंहतोड़ जवाब दे रही है. रविवार देर रात से चल रहे इस मुठभेड़ में अब तक 3 आतंकी मारे जा चुके हैं, जिसमें पुलवामा में 14 फरवरी को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों पर किए गए हमले का कथित मास्टरमाइंड भी शामिल है. वहीं इस दौरान सेना के मेजर सहित 4 जवान शहीद भी हो गए और एक नागरिक की भी मौत हो गई.

सेना ने पिंगलान इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के दो कमांडर गाजी राशिद उर्फ कामरान और हिलाल सहित 3 आतंकियों को मुठभेड़ के दौरान मार गिराया. कामरान को कथित रूप से पुलवामा आतंकी हमले का मास्टरमाइंड बताया गया है.

मुठभेड़ जिस जगह चल रही है वह 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले के स्थान से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर ही है.

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने कहा, 'मारे गए जेईएम आतंकवादियों में एक शीर्ष कमांडर है जो पाकिस्तान का रहने वाला है. मारे गए नागरिक की पहचान मुश्ताक अहमद के रूप में हुई है.'

मुठभेड़ रविवार देर रात शुरू हुई जब सुरक्षा बलों, राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर), राज्य पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) और सीआरपीएफ ने जैश-ए-मुहम्मद (जेईएम) के आतंकवादियों के यहां छिपे होने की खुफिया सूचना मिलने के बाद पिंगलेना गांव को घेर लिया था.

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कर्नल कालिया ने कहा, 'घेराबंदी जैसे ही कड़ी हुई छिपे हुए आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई.' मुठभेड़ शुरू होने के बाद शुरुआती गोलीबारी में घायल चार जवान और एक नागरिक की अस्पताल में मौत हो गई.

जवानों की पहचान मेजर विभूति शंकर ढौंनडियाल, हवलदार सेवा राम और सिपाही हरि सिंह और अजय कुमार के रूप में हुई है. मुठभेड़ स्थल से आतंकवादियों के शव को बरामद कर लिया गया है.

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एक अधिकारी ने कहा, 'नागरिकों से मुठभेड़ स्थल के पास नहीं जाने की सलाह दी गई है, क्योंकि यह एक प्रतिबंधित क्षेत्र है और विस्फोटक सामग्रियों की उपस्थिति की वजह से यह खतरनाक हो सकता है.'

गौरतलब है कि पुलवामा में जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 14 फरवरी को 2,500 सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर कश्मीर के इतिहास का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे. इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी.