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गुलाम नबी आजाद ने कहा- पुलवामा में 7 नागरिकों की हत्या अस्वीकार्य, मामले की जांच हो

गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 7 नागरिकों की हत्या मामले में जांच की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी स्थितियों को दूर किया जा सके.

Updated on: 17 Dec 2018, 05:44 PM

नई दिल्ली:

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 7 नागरिकों की हत्या को अस्वीकार्य बताया. उन्होंने कहा, 'यह हमेशा सराहनीय होता है जब हमारे सशस्त्र बल आतंकियों को मारते हैं लेकिन जब निर्दोष नागरिक मारे जाते हैं तो दुख होता है. पुलवामा में 7 से ज्यादा नागरिकों की मौत अस्वीकार्य है.' गुलाम नबी आजाद ने इस मामले में जांच की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी स्थितियों को दूर किया जा सके.

कांग्रेस नेता ने कहा, 'मामले की जांच होनी चाहिए और सुरक्षा बलों को नागरिकों पर गोली नहीं चलानी चाहिए ताकि भविष्य में पुलवामा जैसी स्थिति पैदा न हो.'

बता दें कि शनिवार को आतंकियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच मुठभेड़ में एक जवान शहीद हो गया था और उसके बाद पुलवामा के सिरनू गांव में सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष में 7 नागरिक मारे गए और 35 अन्य घायल हो गए थे.

पुलवामा में नागरिकों की हत्याओं के खिलाफ अलगाववादियों के बंद से रविवार को जनजीवन प्रभावित रहा था. अलगाववादी नेताओं सैयद अली गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंद कर दिया गया था और मुहम्मद यासीन मलिक हिरासत से बचने के लिए अंडरग्राउंड हो गए.

घाटी में पिछले कुछ महीनों के इतिहास में शनिवार एक सबसे रक्तरंजित दिन रहा. इलाके में आतंकियों के छिपे होने की गुप्त सूचना के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके को घेर लिया था और इसके बाद सिरनू गांव में मुठभेड़ शुरू हो गई थी. पुलिस ने बताया कि मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए थे और एक जवान शहीद हो गया था. मारे गए तीन आतंकवादियों में से एक जहूर अहमद ठोकर ने आतंकवाद में शामिल होने के लिए सेना छोड़ दी थी.

मुठभेड़ के तुरंत बाद, कई नागरिक प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा बलों के साथ झड़प हो गई, जिसके कारण भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बलों ने गोलीबारी की और पेलेट्स दागे. संघर्ष के दौरान गोलीबारी में घायल हुए दो युवक आमिर अहमद और आबिद हुसैन को अस्पताल पहुंचते ही मृत घोषित कर दिया गया था. अधिकारियों ने कहा कि 5 अन्य घायल प्रदर्शनकारियों -सुहैल अहमद, शाहबाज लियाकत डार, तौसेफ अहमद, मुर्तजा बशीर- की बाद में मौत हो गई थी.

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इस घटना पर पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को ट्वीट किया था, 'कश्मीर में एक और खूनी सप्ताहांत. छह प्रदर्शनकारी मारे गए, ड्यूटी पर तैनात एक जवान शहीद हो गया. सुबह की मुठभेड़ में तीन आतंकवादियों सहित 10 लोग मारे गए. मुठभेड़ स्थल से कई लोगों के घायल होने की खबर है. क्या भयानक दिन है.'

उमर ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर निशाना साधते हुए कहा था, 'राज्यपाल मलिक के प्रशासन में केवल एक काम और सिर्फ एक काम है. जम्मू-कश्मीर के लोगों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना और घाटी में शांति बहाल करना. अफसोस की बात है कि एकमात्र यही चीज प्रशासन नहीं कर पा रहा है. प्रचार अभियान और विज्ञापन भरे पृष्ठ शांति नहीं लाते.'

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पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस घटना पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था, 'हम अपने युवाओं के ताबूतों को कब तक कंधा देते रहेंगे? पुलवामा में आज मुठभेड़ के बाद कई नागरिक मारे गए. कोई भी देश अपने लोगों की हत्या करके युद्ध नहीं जीत सकता है. मैं इन हत्याओं की दृढ़ता से निंदा करती हूं और एक बार फिर इस खून-खराबे को रोकने के प्रयास करने की अपील करती हूं.'

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