जम्मू-कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी पर बड़ी कार्रवाई, सरगना समेत दो दर्जन कैडर गिरफ्तार
जमात ने ऐसे समय में इस कार्रवाई को 'संदेहास्पद' बताया है कि जब सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद-35ए से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करने वाला है जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता है.
श्रीनगर:
पुलवामा हमले के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने घाटी में बड़ी कार्रवाई करते हुए शुक्रवार और शनिवार की मध्यरात्रि को जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख अब्दुल हामिद फयाज सहित करीब दो दर्जन कैडर को हिरासत में लिया है. पुलिस अधिकारी ने इस कार्रवाई को 'रुटीन' बताते हुए कहा कि अलगाववादी समूह तहरीक-ए-हुर्रियत के तहत आने वाले इस संगठन पर पहली बड़ी कार्रवाई हुई है. जमात ने हिरासत की कार्रवाई का विरोध करते हुए एक बयान जारी करते हुए कहा, 'यह कार्रवाई इस क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने के लिए एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है.'
जमात ने कहा कि 22 और 23 फरवरी के मध्य रात में पुलिस और दूसरी एजेंसियों ने सामूहिक गिरफ्तारी (मास अरेस्ट) अभियान चलाया और घाटी में कई घरों पर छापेमारी की, जिसमें जमात प्रमुख अब्दुल हामिद फयाज और वकील जाहिद अली सहित केंद्रीय और जिला स्तर के कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया है.
जमात कैडरों को दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग, पहलगाम, डायलगाम, त्राल सहित अलग-अलग इलाकों से हिरासत में लिया गया. जमात ने ऐसे समय में इस कार्रवाई को 'संदेहास्पद' बताया है कि जब सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद-35ए से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करने वाला है जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता है.
बयान के अनुसार, 'जिस तरीके से सुरक्षा बलों ने सामूहिक गिरफ्तारी चलाई है और दर्जनों जमात सदस्यों को सुनवाई से पहले हिरासत में लिया गया है, इससे पर्दे के पीछे बड़ी साजिश मालूम होती है. अनुच्छेद-35ए को मिटाने या छेड़छाड़ करने का कोई भी प्रयास जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए अस्वीकार्य है.'
इसके अलावा शुक्रवार रात को अलगाववादी नेता और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था. बड़ी संख्या में जवानों को जम्मू-कश्मीर में तैनाती के लिए भेजा गया है.
संविधान के अनुच्छेद 35-ए के समर्थन में पिछले कुछ दिनों से लगातार कश्मीर घाटी में अलगाववादियों की ओर से बंद का आह्वान किया जा रहा है. अनुच्छेद 35-ए को समाप्त करने को लेकर दायर याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.
यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य के नागरिकों और उनके विशेषाधिकारों को परिभाषित करने की शक्ति प्रदान करता है. अलगाववादियों पर यह कार्रवाई पुलवामा में भीषण आत्मघाती हमले में 40 जवानों के शहादत के 8 दिन बाद हुई है.
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