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जम्मू-कश्मीर: अलगाववादियों को फंड दिलाने में 90 के दशक के आतंकी कर रहे मदद

खबर आ रही है कि 90 के दशक के आतंकवादी आलगाववादियों को फंड दिलाने में अलगाववादियों की मदद कर रहे हैं।

Updated on: 22 May 2017, 11:56 AM

नई दिल्ली:

पत्थरबाज़ों को पाकिस्तान की तरफ की की जा रही फंडिंग मामले में हुर्रियत नेताओं से एमनआईए की ने पूछताछ जारी है, लेकिन इधर खबर आ रही है कि 90 के दशक के आतंकवादी आलगाववादियों को फंड दिलाने में अलगाववादियों की मदद कर रहे हैं।

अंग्रेज़ी अखबार इकनॉमिक टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि नब्बे के दशके के आतंकवादी पाकिस्तान से आलगाववादियों को पैसे दिलाने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।

अखबार का कहना है कि सैयद अली शाह गिलानी के कानूनी सलाहकार गुलाम मोहम्मद बट ने 2009 से 2011 के बीच पाकिस्तान से दो करोड़ रुपये से अधिक की रकम हवाला के जरिए मिली थी। बट को 2011 में गिरफ्तार किया गया था और इस मामले में सुनवाई अभी चल रही है।

1990 के दशक में हिज्बुल मुजाहिदीन और अन्य आतंकवादी संगठनों के साथ जुड़कर आतंकवाद फैलाने वाले बहुत से लोग अब कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के लिए फंडिंग मुहैया कराने वाले नेटवर्क का हिस्सा बन गए हैं।

जम्मू-कश्मीर के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने एनआईए ककी जाच का हवाला देते हुए दावा किया है कि राज्य में पत्थरबाज़ों पत्थर फेंकने के लिये रोज़ 500 रुपए दिये जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘पारंपरिक लड़ाई में पाकिस्तान भारत के खिलाफ चार जंग में हार चुका है। पाकिस्तान कश्मीरी अलगाववादियों को हवाला और जाली करेंसी के जरिए पैसा मुहैया कर रहा है। ये लोग कश्मीरी युवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। कश्मीर के इन युवाओं को पत्थरबाजी के लिए रोजाना 500 रुपए दिए जा रहे हैं।’

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निर्मल सिंह ने कहा कि सरकार परिस्थितियों को संभालने की पूरी कोशिश कर रही है। इस मामले में दोषियों को वखशा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ सख्त ऐक्शन लिया जाएगा।

हाल ही में एक स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा हुआ है कि कश्मीर को अस्थिर करने के लिए अलगाववादियों को पाकिस्तान से पैसा मिलता है। एनआईए ने इस मामले में अलगाववादी नेता अहमद डार, नईम खान और गाजी जावेद बाबा से एनआईए ने पूछताछ की है, जो आगे भी जारी रहेगी।

निर्मल सिंह ने आश्वासन दिया है कि सरकार स्थिति पर पूरी नजर बनाए हुए है। कानून के अनुसार आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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