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सुप्रीम कोर्ट ने जलीकट्टू को वैध करार देने पर तमिलनाडु सरकार को भेजा नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जलीकट्टू को वैध करार दिए जाने वाले कानून के खिलाफ पेटा की याचिका पर सुनवाई करते हुए तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है। पेटा ने इस कानून को चुनौती देते हुए इसे पशु क्रूरता अधिनियम का उल्लंघन करार दिया है।

Updated on: 06 Nov 2017, 04:47 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जलीकट्टू को वैध करार दिए जाने वाले कानून के खिलाफ पेटा की याचिका पर सुनवाई करते हुए तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है। पेटा ने इस कानून को चुनौती देते हुए इसे पशु क्रूरता अधिनियम का उल्लंघन करार दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 4 हफ्तों के भीतर तमिलनाडु सरकार को अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

इससे पहले फरवरी में पीपुल्स फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल (PETA) ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी कि कर्नाटक सरकार प्रिवेंशन ऑफ क्रूएल्टी अगेंस्ट एनिमल में संशोधन नहीं कर सकता जिसके तहत जलीकट्टू जैसे खेलों को आजादी दी गई है।

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गौरतलब है कि दोनों असेंबलियों द्वारा पारित कानून में इन खेलों को खेलने के लिए अनुमति दी गई है। हालांकि 31 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने नए कानून के खिलाफ पशु कल्याण संस्थाओं की कई याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था।

पेटा का कहना है कि जलीकट्टू एक क्रूर परंपरा है और कानून के खिलाफ है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बैन कर रखा है। याचिका में कहा गया है कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि जल्लीकट्टू में जानवरों पर अत्याचार होता है और राज्य में जल्लीकट्टू को इजाजत नहीं दी जा सकती।

ऐसे में तमिलनाडु राज्य प्रिवेंशन ऑफ क्रूएल्टी अगेंस्ट एनिमल जैसे केंद्रीय कानून में संशोधन नहीं कर सकता। याचिका में नए एक्ट पर रोक लगाने की मांग की गई है।

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