logo-image

IPS राजीव कुमार ने गिरफ्तारी से बचने के लिए दोबारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की अर्जी, जानिए क्या है वजह

राजीव कुमार शारदा चिट फंड घोटाले की जांच के लिये गठित पश्चिम बंगाल के विशेष जांच दल के प्रमुख थे. मई, 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी

Updated on: 20 May 2019, 01:31 PM

highlights

  • शारदा चिटफंड घोटाले में आरोपी हैं राजीव कुमार
  • CBI ने बताया कि राजीव कुमार ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ की है 
  • सुप्रीम कोर्ट ने 5 फरवरी को राजीव कुमार को गिरफ्तारी के संरक्षित किया था

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल के आईपीएस और कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. राजीव कुमार ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा है कि उन्हें गिरफ्तारी से बचने के लिए 24 मई तक का समय दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए राजीव कुमार ने कहा कि पश्चिम बंगाल में वकीलों की हड़ताल के कारण उन्हें थोड़ा और समय दिया जाए. आपको बात दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शारदा चिट फंड घोटाला मामले में पश्चिम बंगाल के इस आईपीएस को भी आरोपी बनाया था. 

पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बताया था कि राजीव कुमार को 5 फरवरी को गिरफ्तारी से संरक्षण दिया गया था जो कि 17 मई से लेकर आगले सात दिनों तक प्रभावी रहेगा ताकि वह राहत के लिए सक्षम अदालत जा सकें. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने अपने फैसले में सीबीआई से कहा कि वह इस मामले में कानून के अनुसार काम करें. आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार के वकील ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक अगले 7 दिन तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा. न्यायमूर्ति खन्ना ने फैसले का मुख्य अंश सुनाते हुये कहा, 'हमने 5 फरवरी को राजीव कुमार को प्रदान किया गया संरक्षण वापस ले लिया हैं.' 

इसके पहले निर्वाचन आयोग ने पिछले बुधवार को राजीव कुमार को, जो उस समय पश्चिम बंगाल में सीआईडी के अतिरिक्त महानिदेशक पद पर तैनात थे, हटाने का आदेश दिया था क्योंकि वह राज्य में हिंसा की घटनाओं पर काबू पाने में कथित रूप से नाकाम रहे थे. आयोग ने उन्हें गुरुवार को केन्द्रीय गृह मंत्रालय में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया था. कोलकाता में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा की घटनाओं के बाद आयोग ने राजीव कुमार के साथ ही पश्चिम बंगाल के प्रमुख सचिव (गृह) अत्री भट्टाचार्य को भी पद से हटाने का आदेश दिया था.

इससे पहले, राजीव कुमार शारदा चिट फंड घोटाले की जांच के लिये गठित पश्चिम बंगाल के विशेष जांच दल के प्रमुख थे. मई, 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी जिसके बाद सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मांगी कि वो राजीव कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है. क्योंकी सीबीआई को कुछ ऐसे सबूत हाथ लगे थे जिनसे ये पता चलता था कि राजीव कुमार ने इस मामले में कुछ बड़े लोगों को बचाने के लिए सबूतों से छेड़छाड़ की है या फिर सबूतों को नष्ट किया है.