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अवैध बालू खनन मामले में उन मंत्रियों की भी जांच कर रही सीबीआई जिन्होंने दी थी मंजूरी: सूत्र

उत्तर प्रदेश में अवैध बालू खनन की जांच और उसमें राज्य के पूर्व सीएम अखिलेस यादव का नाम आने के बाद सीबीआई ने जांच को लेकर कहा है कि, हमने शुरुआती जांच के बाद इसमें कई जगह छापा मारा है

Updated on: 07 Jan 2019, 06:22 PM

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में अवैध बालू खनन की जांच और उसमें राज्य के पूर्व सीएम अखिलेस यादव का नाम आने के बाद सीबीआई ने जांच को लेकर कहा है कि, हमने शुरुआती जांच के बाद इसमें कई जगह छापा मारा है. अभी हमारे जांच का मुख्य फोकस खनन के लिए दी गई मंजूरी की अवैधता है.  खनन मंत्री होने के नाते सीएम अखिलेश यादव और गायत्री प्रजापति दोनों ने इसे स्वीकृति दी थी. इस बात की जानकारी सीबीआई के सूत्रों ने दी है. गौरतलब है कि अवैध बालू खनन की जांच के संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शनिवार को आईएएस अधिकारी बी. चंद्रकला के आवास सहित दिल्ली और उत्तर प्रदेश में 14 ठिकानों पर छापेमारी की थी. सीबीआई इस मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी पूछताछ कर सकती है. 2012-17 के दौरान अखिलेश यादव राज्य के मुख्यमंत्री थे. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, 2012-13 के दौरान अखिलेश यादव के पास राज्य के खनन मंत्रालय का भी प्रभार था. इस दौरान जो भी कैबिनेट में मंत्री पद पर थे उनकी भूमिका की जांच की जाएगी. सीबीआई ने शनिवार को लखनऊ, नोएडा, दिल्ली, कानपुर, जालौन में छापेमारी की और 11 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.

सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने कहा कि एजेंसी ने 2 जनवरी को 11 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) के भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था, जिसमें कुछ ज्ञात, अज्ञात नौकरशाहों सहित अन्य शामिल हैं.

गौरतलब है कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के प्रतिबंध के बावजूद खनन किया गया था और काफी पैसी की उगाही की गई थी. इस मामले में 7 जिलों में सीबीआई की तफ्तीश चल रही थी. 31 मई 2012 को एक टेंडर हुआ था जो ई-टेंड के मार्फत नहीं किया गया था.

अखिलेश यादव के अलावा पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को भी सीबीआई इस मामले में समन कर सकती है. प्रजापति के पास भी खनन विभाग की जिम्मेदारी थी. सीबीआई हमीरपुर में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) नेता सत्यदेव दीक्षित और समाजवादी पार्टी के एमएलसी रमेश मिश्रा के आवास पर छापेमारी की.

साबीआई सूत्रों ने कहा है कि इस मामले में आदिल खान, बी चंद्रकला, तत्कालीन खनन अधिकारी मोइनुद्दीन, एसपी एमएलसी रमेश मिश्रा और उनके भाई, खनन क्लर्क रामाश्रय प्रजापति, अंबिका तिवारी (हमीरपुर), खनन क्लर्क राम अवतार सिंह और उनके संबंधी और संजय दीक्षित आरोपी है.

आदिल खान के आवास से एजेंसी को खनन से जुड़े दस्तावेज मिले हैं. अभिषेक दयाल ने बताया, 'हमने पाया कि उन्हें खनन लाइसेंस तत्कालीन खदान मंत्री गायत्री प्रजापति की सिफारिश पर मिला था.'

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उन्होंने कहा कि एजेंसी ने मोइनुद्दीन के हमीरपुर स्थित आवास से 12.5 लाख रुपये की नकदी और 1.8 किलोग्राम सोना बरामद किया, जबकि खनन विभाग के सचिव राम अवतार सिंह के जालौन स्थित घर से दो करोड़ रुपये नकदी और दो किलोग्राम सोना बरामद किया गया.

अधिकारी ने कहा, 'राम अवतार सिंह ने भी दूसरे के नाम से खनन का लाइसेंस हासिल किया था.' अधिकारी ने बताया कि सपा नेता रमेश कुमार मिश्रा की पत्नी के लखनऊ स्थित आवास की तलाशी की गई, लेकिन उसका नाम एफआईआर में नहीं है.

सीबीआई अधिकारी बी चंद्रकला के आवास से कई दस्तावेज अपने साथ लेकर गए हैं. सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई की टीम के हाथ कई अहम दस्तावेज लगे हैं. बताया जा रहा है कि स्टडी लीव पर चल रही बी चंद्रकला की मुसीबतें आने वाले दिनों में बढ़ सकती है.

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बी चंद्रकला के हमीरपुर में डीएम रहने के दौरान अवैध खनन का आरोप लगा था. बता दें कि जुलाई 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई को खनन घोटाले का जांच सौंपा गया था. चंद्रकला उत्तर प्रदेश के कई जिलों में जिला अधिकारी के रूप में सेवा दे चुकी हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोर्ट ने राज्य में अवैध खनन के आरोपों पर दायर याचिका सामने आने के बाद सीबीआई को जांच करने के निर्देश दिए थे. याचिका में कहा गया था कि इसमें सरकारी अधिकारियों की अहम भूमिका है.