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इंदिरा गांधी 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' जैसी गंभीर ग़लती के बावजूद विचारशील मानवतावादी: नटवर सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल लागू करके और 1984 में 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' को अंजाम देने की मंज़ूरी देकर दो गंभीर गलतियां की, लेकिन इनके बावजूद वह महान एवं ताकतवर प्रधानमंत्री और एक विचारशील मानवतावादी थीं.

Updated on: 16 Sep 2018, 11:34 PM

नई दिल्ली:

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह का मानना है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल लागू करके और 1984 में 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' को अंजाम देने की मंज़ूरी देकर दो गंभीर गलतियां की, लेकिन इनके बावजूद वह महान एवं ताकतवर प्रधानमंत्री और एक विचारशील मानवतावादी थीं. नटवर सिंह ने वर्ष 1966 से 1971 तक इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्वकाल में सिविल सेवा के अधिकारी के तौर पर अपनी सेवाएं दी. वह 1980 के दशक में कांग्रेस में शामिल हो गए और राजीव गांधी की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने.

पूर्व विदेश मंत्री ने अपनी नई किताब 'ट्रेज़र्ड एपिसल' में पूर्व प्रधानमंत्री के बारे में लिखा है, 'अक्सर इंदिरा गांधी को गंभीर, चुभने वाली और क्रूर बताया जाता है. कभी-कभार ही यह कहा जाता है कि वह ख़ूबसूरत, ख़्याल रखने वाली, सुंदर, गरिमामयी और शानदार इंसान, एक विचारशील मानवतावादी एवं व्यापक अध्ययन करने वाली महिला थीं.'

यह किताब पत्रों का संकलन है. कांग्रेस नेता ने अपनी किताब में उन पत्रों को शामिल किया है, जो उन्हें उनके दोस्तों, समकालीनों एवं सहकर्मियों ने उनके विदेश सेवा के दिनों से लेकर विदेश मंत्री पद पर होने के दौरान तक लिखीं.

इस किताब में इंदिरा गांधी, ईएम फॉर्स्टर, सी राजगोपालाचारी, लॉर्ड माउंटबेटन, जवाहरलाल नेहरू की दो बहनों- विजयलक्ष्मी पंडित एवं कृष्णा हूथीसिंग, आरके नारायण, नीरद सी चौधरी, मुल्क राज आनंद और हान सूयिन के पत्रों को भी शामिल किया गया है.

नटवर सिंह का कहना है कि इन गणमान्य लोगों ने अलग तरह से उनके जीवन पर अपना प्रभाव डाला, जिसकी वजह से दुनिया को देखने का उनका नज़रिया काफी व्यापक एवं समृद्ध हुआ.

1980 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद इंदिरा गांधी ने नटवर सिंह को पत्र लिखा था. उस समय वह पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त थे.

गांधी ने पत्र में लिखा था, 'वास्तविक समस्याएं अब शुरू हुई हैं. लोगों को काफी उम्मीदें हैं लेकिन राजनीतिक और आर्थिक तौर पर स्थितियां बहुत जटिल हैं. एक आशावादी रहकर मैं मदद नहीं कर सकती और मुझे कोई संदेह नहीं कि अगर सिर्फ हमारे नेता और लोग धैर्य और सहनशीलता के साथ अगले कुछ महीने पथरीले रास्ते पर चलें तो हम इसे पार कर उस जगह पहुंच जाएंगे जहां से एक बार फिर विकास संभव होगा.'

इसी तरह के दूसरे पत्रों के अंश रूपा की ओर से प्रकाशित इस किताब में शामिल किए गए हैं. जैसे- राजगोपालाचारी ने एक बार नटवर सिंह का बताया था कि उन्होंने ही लॉर्ड माउंटबेटन को विभाजन का सुझाव दिया था क्योंकि विभाजन ही एकमात्र रास्ता था.

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इसी तरह जब नटवर सिंह इस बात पर अड़े रहे कि महात्मा गांधी विभाजन के ख़िलाफ़ थे तो राजगोपालाचारी ने कहा था, 'गांधी बहुत महान व्यक्ति थे, लेकिन उन्होंने यह भी देखा कि उस वक़्त क्या हो रहा था. वह भ्रम से मुक्त व्यक्ति थे. जब उन्हें महसूस हुआ कि हम लोग विभाजन को लेकर सहमत है तो उन्होंने कहा था कि अगर आप सब लोग एकमत हैं तो मैं आपका साथ दूंगा. यह कहकर उन्होंने अगले दिन दिल्ली छोड़ दिया था.'