भारतीय सेना की 'क्वीन ऑफ बैटल' के 69 साल पूरे, जोश और जज़्बा अब भी बरकरार
1947 में पाकिस्तानी हमलावरों से जम्मू एवं कश्मीर में लड़ने वाले और बलिदान देने वाले पैदल सेना के अधिकारियों और सैनिकों को याद करने और उनको सम्मान देने के लिए भारतीय सेना 27 अक्टूबर को 69 वा इंफेंट्री दिवस मना रही है।
नई दिल्ली:
1947 में पाकिस्तानी हमलावरों से जम्मू एवं कश्मीर में लड़ने वाले और बलिदान देने वाले पैदल सेना के अधिकारियों और सैनिकों को याद करने और उनको सम्मान देने के लिए भारतीय सेना 27 अक्टूबर को 69 वां इंफेंट्री दिवस मना रही है।
27 अक्टूबर इन्फैंट्री दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है ?
भारतीय सेना 27 अक्तूबर को इन्फैंट्री दिवस के रूप में मनाती है इस दिन सिख रेजीमेंट की फस्र्ट बटालियन की इन्फैंट्री कंपनी कश्मीर को पाकिस्तानी सेना समर्थित कबायली हमलावरों से मुक्त कराने के लिए दिल्ली से श्रीनगर पहुंची थी।
महाराजा हरि सिंह के जम्मू कश्मीर के भारत में विलय स्वीकार करने पर हस्ताक्षर करने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस कार्रवाई का आदेश दिया था। क्षेत्र में इन्फैंट्री अधिकारियों के सबसे वरिष्ठ अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने इन्फैंट्री को अपने संदेश में इन्फैंट्री के सभी सदस्यों को कर्तव्य के प्रति अपने समर्पण और विभिन्न परिस्थितियों में काम करने के अदम्य उत्साह और प्रयास के लिए बधाई दी है।
इन्फैंट्री क्या है
इन्फैंट्री एक सेना की शाखा है। सैनिकों की इस शाखा को लड़ाई में दुश्मन के साथ युद्ध का सबसे बड़ा खामियाजा सहन करना पड़ता है। सैन्य अभियान के दौरान इस शाखा के सैनिक सबसे अधिक हताहत होते हैं। ऐतिहासिक दृष्टी में पैदल सेना लड़ाकू हथियार का सबसे पुरानी शाखा के रूप में जानी जाती है। यह युद्ध में दुश्मन के घर में घुस कर मारती है इसलिए इन्फैंट्री को सेना का सबसे अहम शाखा माना जाता है।
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