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केरल में जल प्रलय, आर्मी, नेवी, एयरफोर्स, NDRF ने झोंकी पूरी ताकत, सीएम ने कहा- लोगों को सुरक्षित निकालना बड़ी चुनौती

बीते 100 सालों में केरल में आए सबसे भयावह बाढ़ ने जहां अबतक 370 लोगों की जान ले ली है वहीं लाखों लोग बेघर होकर या तो राहत कैंप में रहने पर मजबूर हैं या फिर भूखे प्यासे जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं।

Updated on: 20 Aug 2018, 11:52 AM

नई दिल्ली:

बीते 100 सालों में केरल में आए सबसे भयावह बाढ़ ने जहां अबतक 370 लोगों की जान ले ली है वहीं लाखों लोग बेघर होकर या तो राहत कैंप में रहने पर मजबूर हैं या फिर भूखे प्यासे जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। ऐसे में इंडिनय नेवी, एयरफोर्स, सेना, और एऩडीआरएफ की पूरी टीम जी जान से लोगों को बाहर निकालने में जुटी हुई है। केरल में भारी बारिश के बाद ही राहत और बचाव काम में एनडीआरएफ ने अपनी सबसे बड़ी तैनाती और पूरी ताकत झोंक रखी है। वेस्टर्न नेवल कमांड ने 19 अगस्त को 70 टन खाद्य सामग्री बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचाया था।

लाखों लोग बेघर

केरल में बाढ़ से हुए बर्बादी के कारण 7,24,649 लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है। बाढ़ पीड़ितों के लिए 5,645 राहत शिविर बनाए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, 'शायद यह अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी है, जिससे भारी तबाही मची है। इसलिए हम सभी प्रकार की मदद स्वीकार करेंगे।' उन्होंने बताया कि 1924 के बाद प्रदेश में बाढ़ की ऐसी त्रासदी नहीं आई।

लोगों को सुरक्षित निकालना सबसे बड़ी चुनौती: सीएम

उन्होंने कहा, 'हमारी सबसे बड़ी चिंता लोगों की जान बचाने की थी। लगता है कि इस दिशा में काम हुआ।' केरल में आखिरकार बाढ़ के सबसे विनाशकारी दौर समाप्त होने के संकेत मिले और कई शहरों और गांवों में जलस्तर में कमी आई है। विजयन ने कहा कि बचाव कार्य का अंतिम चरण जारी है। कई व्हाट्सएप ग्रुप पर मदद की मांग की जा रही है, खासतौर से अलप्पुझा से मदद मांगी जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में फंसे 22,034 लोगों को बचाया गया है। केरल में 29 मई को आई पहली बाढ़ के बाद से लोगों की मौत का सिलसिला जारी है।

बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित अलाप्पुझा, एर्नाकुलम और त्रिशूर में बचाव कार्य जारी है। अधिकारियों ने इन तीन जिलों में जारी किए गए रेड अलर्ट को वापस ले लिया है।

सर्वाधिक प्रभावित स्थानों जहां लोग पिछले तीन दिनों से भोजन या पानी के बिना फंसे हुए हैं, उनमें चेंगन्नूर, पांडलम, तिरुवल्ला और पथानामथिट्टा जिले के कई इलाके, एर्नाकुलम में अलुवा, अंगमाली और पारावुर में शामिल हैं।

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अलाप्पुझा में बचाव कार्य में मदद के लिए आए फंसे मछुआरों के एक समूह ने अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी होने की शिकायत की।

सरकारी उदासीनता की वजह से लोगों को दिक्कत

समूह ने कहा, 'हमने कई लोगों को बचाया लेकिन अब हम जहां से अपनी नाव से आए थे, वहां लौटने में हमारी मदद करने के लिए कोई नहीं है। हमने बचाव कार्यो में अपने जीवन को खतरे में डाल दिया लेकिन अब हमारी मदद के लिए कोई नहीं है।'

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पारावुर, एर्नाकुलम के कांग्रेस विधायक वी.डी. सतीशन ने राहत टीम को भेजने में नाकाम रहने को लेकर राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय की निंदा की। इसके जवाब में स्वास्थ्य मंत्री के.के. शैलजा ने कहा कि हालांकि कई क्षेत्रों में जलस्तर कम हो गया है, लेकिन बड़े पैमाने पर संकटपूर्ण स्थितियों के कारण संभवत: चिकित्सा सुविधाएं कुछ क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पाई हैं।

मंत्री ने कहा, ऐसा इसलिए है क्योंकि चिकित्सकों ने प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचना मुश्किल पाया और अब तक यह समस्या लगभग हल हो गई है। हमें बड़ी मात्रा में दवाएं चाहिए। संक्रमण संबंधी बीमारियों को रोकने के लिए एक प्रमुख स्वास्थ्य अभियान की योजना बनाई जा रही है।"

केरल सरकार ने बाढ़ से कुल 19,500 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान लगाया है। वहीं दूसरी तरफ गृह मंत्रालय ने बाढ़ के बाद राज्य में महामारी फैलने की आशंका जताई है।