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अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ हिंसा रोकने में नाकाम रही मोदी सरकार: रिपोर्ट

अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था 'ह्यूमन राइट्स वॉच' की 'वर्ल्ड रिपोर्ट 2018' में कहा गया है कि मोदी सरकार 2017 में देश में अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों को रोकने में नाकाम रही।

Updated on: 20 Jan 2018, 01:53 PM

नई दिल्ली:

आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार की सफलता को लेकर एजेंसियों की राय भले ही मिलाजुला हो लेकिन अलपसंख्यकों के खिलाफ़ हिंसा रोकने में मोदी को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ने पूरी तरह से फेल करार दिया है।

अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था 'ह्यूमन राइट्स वॉच' की 'वर्ल्ड रिपोर्ट 2018' ने भारत में अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों और इस पर सरकार के रवैये को लेकर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि मोदी सरकार 2017 में देश में अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों को नहीं रोक पाई।

रिपोर्ट की शुरुआत में ही लिखा गया है, 'भारत में साल 2017 में धार्मिक अल्पसंख्यकों, समाज में हाशिए पर चल रहे समुदायों और सरकार की आलोचना करने वालों को बीजेपी समर्थित लोगों और समूह द्वारा बार-बार निशाना बनाया गया, उन्हें धमकी दी गई।'

आगे रिपोर्ट में कहा गया है, 'सरकार इन हमलों और धमकी की निष्पक्ष जांच कराने में भी नाकाम रही है, जबकि बीजेपी के कुछ सीनियर नेता हिन्दू आधिपत्य और उग्र राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए हिंसक समूह को उकसाते रहे हैं।'

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रिपोर्ट में कहा गया है कि अल्पसंख्यक समुदायों, खास तौर पर मुसलमानों के खिलाफ बीजेपी से जुड़े चरमपंथी हिंदू समूहों के हमले 2017 में पूरे साल जारी रहे।

रिपोर्ट में कहा गया है, 'साल भर मुसलमानों पर गायों को खरीदने या उनका कत्ल करने की अफवाह को लेकर उनपर हमले किए गए। नवंबर, 2017 तक इस तरह के 38 हमले हुए, जिसमें 10 लोग की मौत हो गई। इन मामलों में पुलिस की कार्यशैली भी ठीक नहीं रही, वह कथित गोरक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय पीड़ितों के खिलाफ ही शिकायत दर्ज की।'

रिपोर्ट में आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) का उल्लेख करते हुए कहा है कि आरएसएस ने गो तस्करी और लव जेहाद का मुद्दे को गरमाये रखा। हालांकि इसे रोकने के लिए 5000 धार्मिक सैनिकों की भर्ती की घोषणा ज़रूर की लेकिन इससे माहौल और बिगड़ा।

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हालांकि रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2017 में चरमपंथी हिंदू संगठनों के गोरक्षकों द्वारा हत्या की घटनाओं की आलोचना की थी।

वहीं जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2017 के पहले 10 महीनों में जम्मू-कश्मीर में 42 आतंकी हमले हुए हैं, जिनमें 44 सुरक्षाकर्मियों समेत कुल 184 लोगों की मौत हुई है।

रिपोर्ट में सुरक्षाबलों पर आरोप लगाते हुए कहा गया कि मोदी सरकार के कार्यकाल में सुरक्षाबलों ने जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में अत्याचार और गैर वाजिब तरीके से हत्या की है।

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गुरमीत राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के बाद पंचकुला, पंजाब और हरियाणा में हुई हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी लापरवाही की वजह से इस घटना में 38 लोगों की जान चली गई।

इसके अलावा मोदी सरकार पर देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को चोट पहुंचाने का भी आरोप लगा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, शिक्षाविदों द्वारा अपने विचार रखने पर उन्हें निशाना बनाया गया और उनकी आवाज दबाने की कोशिश की गई।

बता दें कि ह्यूमन राइट वॉच ने दुनिया भर के 90 देशों में मानवाधिकारों की स्थिति के बारे में यह रिपोर्ट प्रकाशित की है।

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