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यहां पढ़ें, रामपाल के सिंचाई विभाग के इंजीनियर 'संत' बनने की पूरी कहानी

हरियाणा के सोनीपत के गोहाना तहसील के गांव धनाना में रामपाल दास का जन्म हुआ था.राज्य के सिंचाई विभाग में रामपाल को जूनियर इंजीनियर की नौकरी मिल गई.

Updated on: 11 Oct 2018, 01:52 PM

नई दिल्ली:

हरियाणा के सोनीपत के गोहाना तहसील के गांव धनाना में रामपाल दास का जन्म हुआ था.राज्य के सिंचाई विभाग में रामपाल को जूनियर इंजीनियर की नौकरी मिल गई. इसी दौरान इसकी मुलाकात स्वामी रामदेवानंद महाराज से हुई थी. रामदेवानंद महाराज से प्रभावित होकर रामपाल उनका शिष्य बन गया और कबीर पंथ को मानने लगा.

नौकरी छोड़ करने लगा सत्संग

18 साल की नौकरी के बाद 21 मई 1995 को रामपाल ने इस्तीफा दे दिया. नौकरी छोड़ने के बाद उसका अधिकांश समय सत्संग करने में बीतने लगा. समय के साथ उसके अनुयायी भी बढ़ते गए. एक महिला ने गांव करोंथा में रामपाल को आश्रम के लिए जमीन दे दी. 1999 में रामपाल ने सतलोक आश्रम की नींव रखी.

स्वामी दयानंद पर कमेंट के बाद हिंसक झड़प

2006 में स्वामी दयानंद की लिखी एक किताब पर रामपाल ने एक टिप्पणी की. इससे आहत आर्यसमाज और रामपाल के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हुई. इस झड़प में एक शख्स की मौत भी हो गई. इसके बाद प्रशासन ने 13 जुलाई 2006 को आश्रम को कब्जे में ले लिया. रामपाल और उसके समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया गया.

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आर्य समाज से झड़प में तीन की मौत

2009 में रामपाल को आश्रम वापस मिल गया. उसके खिलाफ आर्य समाज के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसे कोर्ट ने याचिका खारिज कर दिया. आर्य समाजियों और रामपाल के समर्थकों में 12 मई 2013 को फिर हिंसक झड़प हुई. इसमें तीन लोगों की मौत हो गई, करीब 100 लोग घायल हो गए.

कोर्ट ने जारी किया गैर जमानती वारंट

5 नवंबर को पंजाब एवं हरियाणा कोर्ट ने रामपाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया. 10 नंवबर को रामपाल को कोर्ट में पेश होना था, लेकिन उसके समर्थकों ने रामपाल को अस्वस्थ बताकर गिरफ्तारी का आदेश मानने से ही इनकार कर दिया. वह कोर्ट में पेश नहीं हुआ हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई थी.